इस मुद्दे पर उन्होंने विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वाम, कांग्रेस व भाजपा ने चुनाव से गलत अफवाहें फैलाई थी और ममता की तणमूल सरकार के विरूद्ध गलत दुष्प्रचार किया था. श्री मल्लिक ने कहा कि देश में प्रथम खाद्य सुरक्षा योजना बंगाल में ममता ने ही शुरू की थी. राज्य में सबसे पहले जंगल महल से इस योजना की शुरूआत हुइ. इस योजना के शुरूआत होने के साथ ही जंगल महल से माओवादी पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गये. इसके बाद पूरे राज्य में इस योजना को फैलाया गया. श्री मल्लिक ने कहा कि केंद्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में केंद्र सरकार से राज्य सरकार को कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा. इस वजह से छह हजार दो सौ 82 करोड़ रूपये की सब्सिडी राज्य सरकार खुद वहन कर रही है. उन्होंने कहा कि ममता की खाद्य सुरक्षा योजना से राज्य का कोई भी व्यक्ति वंचित नहीं रहेगा. योजना का लाभ हरेक तक पहुंच रहा है जहां पर कुछ तकनीकी खामियां है वहां दो महीने के अंदर इसका समाधान कर लिया जायेगा. फिलहाल पूरे राज्य में नौ करोड़ 43 लाख व्यक्तियों को इस योजना का फायदा मिल रहा है. दार्जिलिंग जिले में राशन कार्ड का काम पूरा हो चुका है. इससे जिले के आठ लाख लोगों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ मिलने लगा है.
जलपाईगुड़ी, कूचबिहार व अलीपुरद्वार जिले में दो महीने के अंदर राशन कार्ड का काम पूरा कर लिया जायेगा. श्री मल्लिक ने कहा कि अब राज्य में बीपीएल कार्ड धारियों और चाय बागानों के श्रमिकों को गेहूं के जगह आटा का पैकेट मिलेगा. इससे लोग न तो गेहूं को बेच पायेंगे और न ही मिल मालिक गरीबों के साथ धोखाधड़ी कर पायेंगे. आटा अच्छी क्वालिटी का होगा और अच्छी गुणवत्ता वाले पॉलिथिन में पैक होगा. हरेक पैकेट पर अलग-अलग जिलों का कोड होगा. जिससे राशन डीलर आटे को अलग जिलों में अवैध बिक्री नहीं कर सकेंगे. आटे की पैकेटिंग को लेकर आटा मिल उद्योग के कारोबारियों के साथ 16 जून को कोलकाता में एक बैठक भी होगी. श्री मल्लिक ने कहा कि इस साल पूरे बंगाल के साथ-साथ उत्तर बंगाल में भी धान की अच्छी पैदावार हुई है और किसानों के पास भरपूर स्टॉक है. इसका फायदा किसानों को सीधा-सीधा मिले इसके लिए सरकार ने हरेक क्षेत्रों में एक सेंट्रल परचेजिंग सेंटर (सीपीसी) और चार डायरेक्ट परचेजिंग सेंटर (डीपीसी) बनाया है. किसानों के हित के लिए और बिचौलियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए ही सरकार ने यह योजना शुरू की है. इसके अलावा उन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम की वाम बोर्ड पर भारतीय नगर निगम (एफसीआइ) की गोदामों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शहर के बीचों-बीच बागरोकोट में एफसीआइ के कुल 30 बड़े-बड़े गोदाम हैं. इनमें 26 गोदामों पर निगम गलत तरीके से अधिकार जमाए बैठी है. अधिकांश गोदामों में इवीएम मशीन, पिच के ड्राम व अन्य सामाने रखी हुई है. साथ ही कई गोदामें गैर-सरकारी संस्थाएं इस्तेमाल कर रही हैं. इसे लेकर सरकार सख्त कार्रवायी करेगी.