देश का केरल इकलौता राज्य है, जहां यह आंकड़ा काफी कम है. इस राज्य में यह आंकड़ा एक लाख प्रसुति महिलाओं में 66 का है. यह बातें राष्ट्रीय मातृ सुरक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कही. वक्ताओं का कहना था कि यदि विश्व के अन्य देशों को देखें तो वहां प्रसुति महिलाओं के मौत का आंकड़ा काफी कम है.
पड़ोसी देश श्रीलंका में एक लाख प्रसुति महिलाओं में से मात्र तीस महिलाओं की मौत ही बच्चे को जन्म देने के समय होती है. आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में तो यह आंकड़ा मात्र 4 का है. जाहिर तौर पर जागरूकता की कमी की वजह से राज्य में स्थिति काफी भयावह है.
सिनी, ह्वाइट रिवन एलायंस द्वारा सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. सिनी के यूनिट कॉर्डिनेटर शेखर साहा ने बताया है कि अभी भी ग्रामीण इलाकों में प्रसुति महिलाएं अपने घर में ही बच्चों को जन्म दे रही है. आज के आधुनिक जमाने में यह एक बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है. घर में प्रसव कराना खतरनाक कदम है. इससे जच्चा एवं बच्चा दोनों के नुकसान की संभावना बनी रहती है. दरअसल ऐसा जागरूकता के अभाव के कारण हो रहा है. उन्होंने इस मामले में अधिक से अधिक जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया. इस समारोह में अस्पताल अधीक्षक अमिताभ मंडल भी उपस्थित थे.