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डिजिटल राशन कार्ड में भारी गड़बड़ी से लोग नाराज

सिलीगुड़ी: राज्य में डिजिटल राशन कार्ड वितरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून एवं राज्य सरकार की परियोजना खाद्य साथी को लेकर इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. पुराने राशन कार्ड के अनुसार राशन वितरण किये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद समस्या का निपटारा नहीं हुआ है, बल्कि राशन डीलरों का सिरदर्द बढ़ गया है. […]

सिलीगुड़ी: राज्य में डिजिटल राशन कार्ड वितरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून एवं राज्य सरकार की परियोजना खाद्य साथी को लेकर इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. पुराने राशन कार्ड के अनुसार राशन वितरण किये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद समस्या का निपटारा नहीं हुआ है, बल्कि राशन डीलरों का सिरदर्द बढ़ गया है. डिजिटल राशन कार्ड को लेकर नागरिक राज्य सरकार से नाराज हैं. वहीं दूसरी तरफ जनता के पैसे से खरीदी गयी खाद्य सामग्री बरबाद हो रही हैं. योजना के तहत आटा मुहैया कराने की बात कही गयी है, लेकिन कार्ड विवाद न सुलझने की वजह से राशन दुकानों एवं गोदाम में रखा आटा खराब हो रहा है. आटे की मियाद 21 दिनों की है, इसके बाद यह खराब मान लिया जायेगा.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पूरी तालिका ही गलत बनायी गयी है. गलती इस हद तक है कि नागरिक को आवंटित किये गये डिजिटल राशन कार्ड पर जो दुकान नंबर दिया गया है, उस दुकान को भेजी गयी तालिका में उस नागरिक का नाम ही नहीं है. घर के नजदीक जहां से वह नागरिक वर्षों से राशन लेता आ रहा है, दुकान होने के बावजूद उसे अन्य इलाके की दुकान पर भेज दिया गया है. कहीं-कहीं तो जो नागरिक वर्षों से राशन लेते आ रहे हैं, उनका नाम तालिका में ही नहीं है. इस समस्या की वजह से राशन डीलरों को नागरिकों को समझाना काफी मुश्किल हो रहा है. नागरिक अपना गुस्सा राशन डीलरों पर निकाल रहे हैं.
इस समस्या से निपटने के लिये राज्य खाद्य विभाग पूरी मेहनत कर रहा है. उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने भी सिलीगुड़ी महकमा परिषद एवं नगर निगम इलाके के राशन डीलरों के साथ मंगलवार को सिलीगुड़ी के कंचनजंघा हॉल में बैठक की. एक दिन पहले सोमवार को मंत्री ने जिला खाद्य नियंत्रकों के साथ भी सिलीगुड़ी स्थित राज्य के मिनी सचिवालय, उत्तर कन्या में बैठक की थी. आगामी 25 से 27 फरवरी के बीच वह उत्तर कन्या में राज्य खाद्य मंत्री एवं पदस्थ अधिकारियों की उपस्थिति में एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे. राज्य खाद्य विभाग की ओर से इस समस्या के निपटारे के लिए मंगलवार को सभी जिला खाद्य नियंत्रकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी एक बैठक की गयी. बैठक पर बैठक तो हो रही है, लेकिन कोई ठोस समाधान सामने नहीं आ रहा है. श्री देव के साथ बैठक के दौरान एक राशन डीलर ने अपनी समस्या सामने रखते हुए कहा कि 99 प्रतिशत तालिका गलत बनायी गयी है.
इसके चलते उन्हें नागरिकों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. इधर, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समस्या के समाधान तक पुराने राशन कार्ड के आधार पर राशन वितरण करने की घोषणा की है, लेकिन नागरिक अब पुराने कार्ड पर राशन लेने को तैयार नहीं है. क्योंकि नये कार्ड पर सभी को दो रुपये किलो की दर से चावल व गेहूं मिलना है.
एक अन्य राशन डीलर ने कहा कि राज्य सरकार के विज्ञापन में आटा वितरण की बात भी कही जा रही है, लेकिन किसी डीलर को सिर्फ आटा उपलब्ध कराया गया है, तो किसी को सिर्फ गेहूं. यह भी एक जटिल समस्या है. मंत्री गौतम देव ने राशन डीलरों को समस्या के समाधान का आश्वासन देते हुए राज्य खाद्य विभाग की अगली निर्देशिका के आने का इंतजार करने का अनुरोध किया. उन्होंने नागरिकों से धैर्य दिखाने और सूझ-बूझ से काम लेने की अपील भी की.
बैठक में उपस्थित सिलीगुड़ी सब डिवीजन खाद्य नियंत्रक रफीकुल इस्लाम ने बताया कि पहले सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में कुल 34,378 नागरिकों को राशन मिलता था जो कि कुल जनसंख्या का 26 प्रतिशत था. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून एवं राज्य सरकार की खाद्य साथी परियोजना के तहत अब 1,10,874 लोगों को शामिल किया गया है जो कि कुल जनसंख्या का 64.38 प्रतिशत है. इसके अलावा वर्ष 2011 में सिलीगुड़ी महकमे में जनसंख्या के आधार पर सिर्फ 25.17 प्रतिशत लोगों को राशन मुहैया कराया जाता था, जो कि अब 60.76 प्रतिशत नागरिकों को मुहैया कराया जायेगा.
फरवरी में ही हो जायेगा समाधान : गौतम
बैठक के बाद उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने कहा कि पूरे राज्य के 9 करोड़ नागरिकों में साढ़े सात करोड़ नागरिकों को खाद्य सुरक्षा कानून एवं खाद्य साथी के अंतर्गत शामिल किया गया है. यह एक बहुत बड़ी परियोजना है, इसलिए आरंभ में कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं. लेकिन राज्य खाद्य विभाग इस समस्या के अविलंब समाधान के लिए तत्पर है. श्री देव ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री के कथनानुसार फरवरी माह के भीतर इस समस्या का समाधान कर लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि जो नागरिक इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं, वे आगामी मार्च महीने से फॉर्म भर कर स्वयं को इस योजना में शामिल करा सकते हैं. खाद्य सामग्रियों के बरबाद होने के विषय पर मंत्री ने कहा कि सब कुछ राज्य सरकार की नजर में है. एक प्रणाली बनाकर समस्या का समाधान करने के लिए राज्य खाद्य विभाग तत्पर है.

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