ओएलएक्स ने साइकिल की तसवीर सहित उसकी कीमत पोस्ट की गयी है. दो साइकिलों की तसवीर लगायी गयी है और इसकी कीमत 45 सौ रुपये रखी गयी है. उस एड में बिक्रेता ने अपने नाम तथा टेलीफोन नंबर का भी उल्लेख किया है. उस नंबर पर जब आज उससे बात की गयी, तो उसने साफ-साफ कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा दी गयी इन साइकिलों की उन्हें कोई जरूरत नहीं है. उनके घर में दो बच्चों को यह साइकिलें मिली हैं और वह दोनों ही साइकिल बेच रहे हैं. कीमत अधिक होने की बात करने पर एड देने वाले ने साफ-साफ कहा कि खुलेबाजार में दो साइकिलों की कीमत 6 हजार रुपये से भी अधिक है.
वह मात्र 45 सौ में दो साइकिल बेच रहे हैं. कीमत कुछ कम करने के अनुरोध पर उन्होंने कहा कि साइकिल लेने के लिए शक्तिगढ़ मैदान आ जायें और वहीं कीमत को लेकर बातचीत तय हो जायेगी. जब उनसे यह पूछा गया कि सबुज साथी योजना के तहत सरकार द्वारा दी गयी साइकिल खरीदने पर कार्रवाई की संभावना है, तो बेचने वाले ने साफ-साफ कहा कि इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं है.
दूसरी तरफ जरूरतमंद बच्चों को साइकिलें नहीं मिलीं. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी में साइकिल का वितरण एक बड़ा मुद्दा बन गया है. पिछले दो दिनों से इसको लेकर बवाल जारी है. बुधवार को हजारों की संख्या में सिलीगुड़ी के विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों ने कई स्थानों पर सड़क जाम कर पूरे शहर को अचल कर दिया था. हालांकि दार्जिलिंग के जिला शासक अनुराग श्रीवास्तव का कहना था कि प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में साइकिल उपलब्ध है और सभी पात्र बच्चों को साइकिलें दी जायेंगी. उन्होंने चार-पांच तारीख तक सभी को साइकिल देने की बात कही है. उसके बाद विद्यार्थियों का गुस्सा थोड़ा कम हुआ है.