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बाढ़ का पानी नहीं सूखने से मिट्टी के भाव छू रहे आसमान

प्रति ट्रैक्टर की कीमत 1300 से बढ़कर हो गयी 2500 रुपये, लाभ नहीं होने के आसार मालदा : बाढ़ के चलते विभिन्न गड्ढों, बीलों में नदियों का पानी अभी तक नहीं सूखने से मिट्टी काफी महंगी हो गयी है. जो मिट्टी सामान्य सीजन में 1300 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिलती थी वह इन दिनों मालदा जिले […]

प्रति ट्रैक्टर की कीमत 1300 से बढ़कर हो गयी 2500 रुपये, लाभ नहीं होने के आसार

मालदा : बाढ़ के चलते विभिन्न गड्ढों, बीलों में नदियों का पानी अभी तक नहीं सूखने से मिट्टी काफी महंगी हो गयी है. जो मिट्टी सामान्य सीजन में 1300 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिलती थी वह इन दिनों मालदा जिले के इंगलिशबाजार, ओल्ड मालदा, मानिकचक, हबीबपुर और बामनगोला ब्लॉकों में 2500 प्रति ट्रैक्टर बिक रही है.
इस वजह से मिट्टी के दीयों में लाभ नगण्य रह गया है. इससे दीये बनानेवाले कुम्हारों में निराशा छायी हुई है. इन कुम्हारों के अनुसार इस बढ़े हुए दाम के बावजूद सर्वाधिक उपयोगी उजली मिट्टी नहीं मिल रही है. उल्लेखनीय है कि इसी मिट्टी से मूर्तियों के अलावा विभिन्न प्रकार के दीये, कलश और धुपदान बनाये जाते हैं.
ओल्ड मालदा के रसिलादह कॉलोनी इलाके में मिट्टी के कारीगर गौड़ चंद्र पाल, पॉली पाल और देबू पाल ने बताया कि सितंबर में गंगा, फुलहार और महानंदा नदियों में बाढ़ का पानी निकटवर्ती गड्ढों और बीलों में पसर गया है. जहां से मिट्टी आती थी वहां कीचड़ लगा हुआ है जिससे मिट्टी निकालना मुश्किल हो गया है. इसलिये मिट्टी की दर महंगी हो गयी है. वहीं, मिट्टी के दीये प्रति दर्जन 30-40 रुपये में बिकते हैं. इसमें उन्हें 50 फीसदी तक लाभ होता था. लेकिन मिट्टी महंगी होने से लाभ की मात्रा मामूली रह गयी है.

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