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बंगाल को भी एनआरसी के दायरे में लाने की मांग

जलपाईगुड़ी : एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम में राजवंशी या कामतापुर भाषा के आधार पर अलग राज्य के लिये आंदोलन करने वाले दो प्रमुख राजनेताओं ने संयुक्त रुप से भूमिपुत्र ऐक्य मंच का गठन किया है. मंच असम की तर्ज पर 1971 के बाद बंगाल में आकर बसे कथित रुप से विदेशियों को नेशनल रेजिस्टर ऑफ […]

जलपाईगुड़ी : एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम में राजवंशी या कामतापुर भाषा के आधार पर अलग राज्य के लिये आंदोलन करने वाले दो प्रमुख राजनेताओं ने संयुक्त रुप से भूमिपुत्र ऐक्य मंच का गठन किया है. मंच असम की तर्ज पर 1971 के बाद बंगाल में आकर बसे कथित रुप से विदेशियों को नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) के दायरे में लाने की मांग करते हुए आंदोलन का एलान किया है.

अरसे बाद राजवंशी और कामतापुरी भाषा आंदोलन के दो प्रमुख नेता बंसीबदन बर्मन और अतुल राय एक मंच पर एकत्र हुए हैं. रविवार की शाम को इन दोनों नेताओं ने जलपाईगुड़ी प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उक्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अस्मिता को लेकर पहाड़ के गोजमुमो को छोड़कर बाकी क्षेत्रीय दलों से भूमिपुत्र के मुद्दे पर शुरु कर दी गयी है.
एक तरह से देखा जाये तो ये नेता एक ही साथ केंद्र सरकार और राज्य की तृणमूल सरकार पर दबाव बनाये रखना चाहते हैं. हालांकि यह भी सच है कि इनमें से बंसीबदन बर्मन को राज्य सरकार ने अतुल राय को कामतापुरी भाषा अकादमी का उपाध्यक्ष और बंसीबदन बर्मन को राजवंशी उन्नयन व सांस्कृतिक बोर्ड का चेयरमैन मनोनीत किया है.
उन्होंने बताया कि 22 अगस्त को रायगंज के जिलाधिकारी को, 26 अगस्त को जलपाईगुड़ी, 28 अगस्त को कूचबिहार, 30 अगस्त को अलीपुरद्वार के जिलाधिकारी और 4 सितंबर को सिलीगुड़ी में एसडीओ के मार्फत प्रधानमंत्री को मंच के पक्ष से ज्ञापन प्रेषित किया जायेगा. आज की प्रेस वार्ता में उक्त दोनों दिग्गज नेताओं के साथ मंचासीन थे गिरिजाशंकर राय, कमल दास.
बंसीबदन बर्मन ने कहा कि उत्तर बंगाल के राजवंशी और कामतापुरी भाषा के नाम पर हमारा वोट बंट जा रहा है. हालांकि चुनाव में जीतकर सत्ता में आने के बावजूद कोई राजनैतिक दल भूमिपुत्रों के बारे में सोच-विचार नहीं कर रहा है. इसीलिये उन्होंने मंच का गठन कर भूमिपुत्रों के मुद्दों पर आंदोलन करने का फैसला किया है. इस मुद्दे के अलावा उनका अलग राज्य की मुहिम जारी रहेगी. भले ही उस प्रस्तावित राज्य का नाम कोचबिहार हो या कामतापुर.
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित राज्य में मालदा को छोड़कर असम के ग्वालपाड़ा जिले से लेकर पहाड़ को छोड़ उत्तरबंगाल के बाकी जिलों को शामिल किया जायेगा. इसके लिये 1949 में भारतीय संघ में कोचबिहार राज्य के विलय को लेकर किये गये करार को आधार के रुप में माना जा सकता है.
बंसीबदन बर्मन ने कहा कि राज्य के अलावा भारतीय सेना में राजवंशी समुदाय के लिये नारायणी रेजिमेंट का गठन, मदनमोहन राजबाड़ी देवोत्तर ट्रस्ट का दायित्व भूमिपुत्रों को सौंपने, महाराजा के कार्यकाल के फंड का उपयोग भूमिपुत्रों के समग्र विकास में किये जाने की मांग शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि यह राज्य आजादी से पहले कभी भी बंगाल का हिस्सा नहीं रहा है. हम लोग बंगाल में रहना नहीं चाहते. हमारी भाषा से लेकर नस्लीय गठन सब कुछ अलग है. आंदोलन की रुपरेखा के बारे में बताया कि 22 अगस्त को रायगंज में जिलाधिकारी के मार्फत केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा जायेगा.
केपीपी के नेता अतुल राय ने बताया कि मंच किसी भी राजनैतिक दल के साथ जुड़ा नहीं है. हम लोग समय समय पर विभिन्न मुद्दों पर राजनैतिक दलों को समर्थन देते रहे हैं. उन्होंने और बंसीबदन बर्मन ने कहा कि मुख्यमंत्री राजवंशी समुदाय और कामतापुरी भाषा के विकास के लिये अच्छा काम किया है. छीटमहल विनिमय में पहल की है. लेकिन बोर्ड को जरूरी राशि नहीं देने से लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है.

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