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ब्याज दर बढ़ाना चाहते थे एमपीसी के पांच सदस्य

कोलकाता : फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने को लेकर छह सदस्योंवाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के पांच मेंबर्स ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की सिफारिश की थी, जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर ने न्यूट्रल रुख बनाये रखने की बात कही थी. इसका मतलब यह निकला […]

कोलकाता : फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने को लेकर छह सदस्योंवाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के पांच मेंबर्स ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की सिफारिश की थी, जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर ने न्यूट्रल रुख बनाये रखने की बात कही थी. इसका मतलब यह निकला कि पॉलिसी रेट बढ़ाने या घटाने में कोई भी फैसला किया जा सकता है.
एमपीसी की पिछली मीटिंग के मिनट्स के मुताबिक, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट्स से जो संकेत मिल रहे थे, उससे महंगाई दर का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया था. एमपीसी की मीटिंग में पटेल ने कहा था, ‘कई चीजों पर अभी तस्वीर साफ नहीं हैं इसलिए मैं मॉनेटरी पॉलिसी पर न्यूट्रल रुख बनाए रखना चाहता हूं, लेकिन महंगाई दर बढ़ने का रिस्क बना हुआ है, इसलिए मैं पॉलिसी रेट में 0.25 पर्सेंट बढ़ोतरी के पक्ष में वोट डाल रहा हूं.
लंबे समय तक महंगाई दर पर चार प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करने के लिए यह कदम जरूरी है.’ महंगाई दर के चार प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक होने की वजह से एमपीसी कंफर्टेबल नहीं थी. इसके एक सदस्य चेतन घाटे ने कहा था, ‘महंगाई दर को काबू में रखने और मॉनेटरी पॉलिसी को और भरोसेमंद बनाने के लिए काफी काम करने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा था कि एमएसपी में बढ़ोतरी के चलते महंगाई दर बढ़ रही है और इसके चार प्रतिशत के लक्ष्य से कहीं अधिक रहने की आशंका दिख रही है. उन्होंने कहा था, ‘महंगाई दर पर एमएसपी का असर इससे तय होगा कि सरकार कितना अनाज खरीदती है, लेकिन इसके रिस्क को देखते हुए अभी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना सही होगा.’
एमपीसी मेंबर पम्मी दुआ ने कहा था कि फिस्कल स्लिपेज का मार्केट की वोलैटिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे प्राइवेट इनवेस्टमेंट रुक जाएगा और महंगाई के आउटलुक पर भी असर होगा. दूसरे सदस्य रवींद्र ढोलकिया ने ब्याज दरें जस-का-तस बनाए रखने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि भारत में रियल पॉलिसी रेट दूसरे कई देशों के मुकाबले अधिक है. उससे कैपिटल फॉर्मेशन पर बुरा असर पड़ रहा है. वहीं, डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि पिछली बार के बाद इस बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने से डिमांड और महंगाई दर को काबू में रखने में मदद मिलेगी.
उन्होंने यह भी कहा था कि रेट में बढ़ोतरी का असर कुछ समय की देरी से पड़ेगा. आचार्य ने कहा था कि ग्लोबल टैरिफ वॉर को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि, इसके तेज होने से ग्लोबल ग्रोथ में कमी आ सकती है और महंगाई पर इसका अप्रत्याशित तरह से असर हो सकता है. इसलिए उन्होंने भी मॉनेटरी पॉलिसी पर न्यूट्रल रुख बनाए रखने की बात कही थी.

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