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क्रेडेंशियल के चक्कर में फंसे छोटे ठेकेदार

हाईवे का काम मिलना हुआ मुश्किल लोकल की जगह बाहरी का बढ़ा दबदबा सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी के दार्जिलिंग मोड़ से दार्जिलिंग शहर तक जाने वाली नेशनल हाईवे 55 की मरम्मती के काम में लगे छोटे ठेकेदार इन दिनों परेशानी में पड़ गए हैं. दरअसल क्रेडेंशियल के चक्कर में इन ठेकेदारों को काम मिलना मुश्किल हो […]

हाईवे का काम मिलना हुआ मुश्किल
लोकल की जगह बाहरी का बढ़ा दबदबा
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी के दार्जिलिंग मोड़ से दार्जिलिंग शहर तक जाने वाली नेशनल हाईवे 55 की मरम्मती के काम में लगे छोटे ठेकेदार इन दिनों परेशानी में पड़ गए हैं. दरअसल क्रेडेंशियल के चक्कर में इन ठेकेदारों को काम मिलना मुश्किल हो गया है. जिसकी वजह से करीब 2 से 3000 छोटे ठेकेदार काफी परेशानी में हैं. मिली जानकारी के अनुसार नेशनल हाईवे 55 की देखरेख तथा मरम्मती की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे डिवीजन की है.पहले किसी भी काम के लिए इस क्षेत्र के छोटे ठेकेदार भी टेंडर भरकर हाईवे का काम करते थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से क्रेडेंशियल के चक्कर में इनका सब कुछ तबाह हो रहा है.
आरोप है कि लोकल लोगों के स्थान पर बाहरी लोगों को तरजीह दी जा रही है. दरअसल पब्लिक वर्क्स निदेशालय की ओर से जारी दिशा निर्देश में सिर्फ बड़े ठेकेदारों को ही काम करने का मौका दिया जा रहा है. उन्हीं ठेकेदारों को टेंडर जारी किए जा रहे हैं जिनके पास 25 से 30 करोड़ रुपए का क्रेडेंशियल हो. जबकि इस क्षेत्र के छोटे ठेकेदारों के पास इतनी क्षमता नहीं है. इन ठेकेदारों के पास 4 से 5 करोड़ रुपए का ही क्रेडेंशियल है. जिसकी वजह से इनको काम मिलना मुश्किल हो रहा है
इस समस्या को लेकर छोटे ठेकेदारों के संगठन दार्जिलिंग तराई एनएच 55 कॉन्ट्रैक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को नेशनल हाईवे डिवीजन नंबर 9 के कार्यकारी अभियंता को एक ज्ञापन दिया गया और क्रेडेंशियल कम करने की मांग की गयी. ज्ञापन देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए संगठन के सचिव समीर छेत्री ने बताया है कि हाईवे डिवीजन के नए नियम से छोटे ठेकेदारों के सामने काफी परेशानी हो गई है. यदि यह समस्या जस की तस बनी रहे तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक इस क्षेत्र के छोटे ठेकेदार ही टेंडर भरकर हाईवे की मरम्मती तथा इससे संबंधित अन्य काम करवाते थे. लेकिन अब विभाग ने क्रेडेंशियल की राशि को 25 से 30 करोड़ रुपए कर दिया है.
जिसकी वजह से छोटे ठेकेदार टेंडर ही नहीं भर पाते. जबकि बड़े ठेकेदार भी काम उन्हीं से करवाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि काम तो उन लोगों को ही करना पड़ता है. लेकिन बीच में बड़े ठेकेदारों के शामिल हो जाने के कारण विभाग को अधिक खर्च भी करना पड़ता है. यहां के जितने भी ठेकेदार हैं उनके पास 4 से 5 करोड़ रुपए के काम करने की क्षमता है. नेशनल हाईवे डिवीजन को एक ही बार में 25 से 30 करोड़ रुपए की राशि का टेंडर आवंटित नहीं कर छोटे-छोटे टेंडर जारी करने चाहिए. इससे यहां के ठेकेदारों को भी काम मिलता रहेगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि तीनधरिया में इन दिनों नेशनल हाईवे का काम चल रहा है . इसके लिए 100 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर जारी किए गए हैं. यहां के ठेकेदार चाहकर भी टेंडर नहीं भर सके. क्योंकि उनके पास इतनी राशि की क्रेडेंशियल ही नहीं है.
जबकि बाहर के ठेकेदारों ने टेंडर अपने नाम करवा लिया है. जबकि वह काम यहीं के ठेकेदारों से करा रहे हैं. श्री छेत्री नेइस मामले में राज्य और केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री अरूप विश्वास तथा केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी इस मामले की जानकारी दी है. इन दोनों नेताओं को भी ज्ञापन की कॉपी भेजी गयी है.

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