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बदहालीl सुनतले खोला व रॉकी आइलैंड का कम हुआ आकर्षण

पर्यटकों की घटी संख्या, होम स्टे कारोबारी परेशान जर्जर सड़क के कारण पहुंचने में भारी दिक्कत परेशान पर्यटकों ने दोबारा जाने से किया तौबा मालबाजार : डुवार्स क्षेत्र संलग्न कालिम्पोंग महकमा अंतर्गत सुनतले खोला और रॉकी आइलैंड पर्यटकों के लिए पसंदीदा इलाके हैं. लेकिन यहां की सड़क की हालत इतनी जर्जर है कि यहां जो […]

पर्यटकों की घटी संख्या, होम स्टे कारोबारी परेशान

जर्जर सड़क के कारण पहुंचने में भारी दिक्कत
परेशान पर्यटकों ने दोबारा जाने से किया तौबा
मालबाजार : डुवार्स क्षेत्र संलग्न कालिम्पोंग महकमा अंतर्गत सुनतले खोला और रॉकी आइलैंड पर्यटकों के लिए पसंदीदा इलाके हैं. लेकिन यहां की सड़क की हालत इतनी जर्जर है कि यहां जो भी पहुंचता है, वह दोबारा आने के लिए दस बार सोचेगा. इसी वजह से इन दो पर्यटन स्थलों में आने वाले सैलानियों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है. इससे स्थानीय लोगों का होम स्टे व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. उल्लेखनीय है कि इस इलाके में कुल 90 होम स्टे हैं. इनके अलावा छोटी-बड़ी बहुत सारी दुकानें पर्यटन व्यवसाय पर ही निर्भर हैं.
सुनतले खोला या रॉकी आइलैंड सिलीगुड़ी या मालबाजार से जाया जा सकता है. डुवार्स क्षेत्र के मेटली से सुनतले खोला की दूरी साढ़े तेरह किलोमीटर है. मेटली से सामसी की दूरी आठ किलोमीटर है. यहां से सुनतले खोला की दूरी पांच किलोमीटर है. सुनतले खोला तक जाने वाली आठ किलोमीटर लंबी सड़क बदहाल है. वहीं सामसी बस स्टैंड से ऊपर की ओर जाने वाली सड़क की स्थिति जोखिमभरी है. सड़कों के बीच में बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. यहां से सुनतला खोला जाने के लिए सड़क नाममात्र के लिए है. इसी रास्ते से रॉकी आइलैंड तक जाया जा सकता है.
रॉकी आइलैंड जाने के लिए साढ़े तीन किलोमीटर की सड़क अच्छी हालत में है. स्थानीय निवासी धीरज भूजेल ने बताया कि यहां के अधिकतर लोग पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर हैं. सड़क बन जाने से इस इलाके के विकास का रास्ता खुल जायेगा.
उल्लेखनीय है कि सुनतले खोला और रॉकी आइलैंड में संतरे के बगीचे हैं. सुनतले खोला का झूलापुल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है. लाटागुड़ी और धूपझोड़ा से आने वाले पर्यटक इन दोनों जगहों का लुफ्त उठाते हैं. बीते कई साल से सुनतले खोला और रॉकी आइलैंड जाने वाली सड़क पैदल चलने के लिए भी नाकाबिल हो गई है. मध्य प्रदेश के इंदौर से आये हुए सैलानी अमित निगम ने बताया कि अब यह इलाका बेहद खूबसूरत है. लेकिन सड़क की ऐसी जर्जर हालत है कि यहां आने वाला व्यक्ति दोबारा आने की हिम्मत नहीं जुटा पायेगा. स्थानीय एक वाहन चालक टेक बहादुर गुरूंग ने बताया कि जर्जर सड़क के चलते नये वाहन भी जल्दी ही खराब हो जाते हैं.
धीमी रफ्तार से चलाने पर तेल का खर्च बढ़ जाता है. इसीलिए उन्हें पर्यटकों से अधिक किराया लेना पड़ता है. स्थानीय एक होम स्टे के व्यवसायी निरपराज भूजेल ने बताया कि साढ़े तीन साल पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां आयी थी. उस समय सड़क की मामूली मरम्मत की गई थी. लेकिन एक महीने में ही उस मरम्मत की पोल खुल गई. खराब सड़क के चलते ही पर्यटकों का आगमन कम हो गया है.

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