सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से तकरीबन 30 किमी दूर पर्यटन हब गाजलडोबा तीस्ता बैरेज इतिहास रचने जा रहा है. यह बैरेज बंगाल का पहला बैरेज होगा जो एलसीडीए-पीएलसी सिस्टम से युक्त होगा. यह दावा है ममता सरकार में सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी का. वह गुरुवार को गाजलडोबा दौरे के दौरान सरकारी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे,
जहां उन्होंने आधुनिकीकरण परियोजना का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया. बनर्जी का कहना है कि गाजलडोबा को पर्यटन हब में तब्दील करना और यहां के तीस्ता बैरेज को अत्याधुनिक करना ममता का ड्रीम प्रोजेक्ट है. जो बहुत जल्द साकार होने जा रहा है. इस तीस्ता बैरेज का 20 करोड़ की लागत से इसी वर्ष जनवरी महीने से आधुनिकीकरण हो रहा है. अगले वर्ष जुलाई तक काम पूरी तरह समाप्त हो जायेगा. काम पूरा होने पर गाजलडोबा तीस्ता बैरेज के अधीन सभी 62 गेटों का संचालन पूरी तरह कंप्यूटरीकृत सिस्टम से होगा.
गेटों को खोलने, बंद करने, यहां तक कि बांग्लादेश को तीस्ता का पानी प्रतिदिन कितना गया, इसका भी पूरा डाटा रहेगा. उन्होंने बताया कि यह योजना पूरी होने के बाद दुर्गापुर में भी यह सिस्टम लागू किया जायेगा. श्री बनर्जी का कहना है कि बंगाल के सभी बैरेज और डेम इसी सिस्टम से संचालित होंगे. उनका दावा है कि यह सिस्टम लागू होने से किसानों को भी खूब फायदा मिलेगा. खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में हमेशा पानी किसानों को मिलेगा. इसके लिए सभी बैरेज और डेमो की सफाई कार्य भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है. उनका कहना है कि इस सिस्टम से बाढ़ नियंत्रण में भी काफी सहायता मिलेगी.
बाढ़ को लेकर उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर व मालदा जिले को लेकर कई योजनाओं पर काम जारी है. बाढ़ नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कमेटी भी बनायी है जो युद्धस्तर पर काम कर रही है. इसके तहत पीडब्ल्यूडी के सहयोग से नदी में तटबंध बनाने, पूराने तटबंध को दुरुस्त करने, अवैध खनन बंद करने, सेतु निर्माण, सड़कों की मरम्मती आदि कामों पर जोर दिया जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान श्री बनर्जी के साथ सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन प्रकाश, चीफ इंजीनियर सिद्धार्थ दत्त व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.
फरक्का बैरेज केंद्र का मामला, नहीं कर रहा सहयोग
कार्यक्रम के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने कहा कि फरक्का बैरेज भले ही बंगाल में है, लेकिन मामला केंद्र सरकार का है. फरक्का बैरेज की बदहाली के लिए पूरी तरह केंद्र ही जिम्मेदार है. इसमें राज्य सरकार का कोई रोल नहीं है. फरक्का बैरेज को दुरस्त करने के लिए केंद्र को कई बार चिट्ठी भी दी जा चुकी है. लेकिन अभी तक केंद्र कोई पहल नहीं कर रही. यहां तक की केंद्र राज्य का बकाया रुपये तक नहीं लौटा रही. केंद्र असम, बिहार, राजस्थान, गुजरात व अन्य राज्यों को स्पेशल पैकेज प्रत्येक वर्ष दे रही है वहीं, बंगाल को इसका लाभ नहीं दे रही.
सिक्किम के बांधों से भी उत्तर बंगाल में हो रहा प्रभावित
सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने आज मीडिया के सामने स्वीकार किया कि सिक्किम के बांधों से भी उत्तर बंगाल प्रभावित हो रहा है. इन बांधों को जब खोला जाता है तो बंगाल को पहले से सूचित नहीं किया जाता. इतना ही नहीं पहाड़ की नदियों में अचानक कभी-कभी पानी का तेज बहाव आता है जिससे समतल में उत्तर बंगाल के नदी किनारों के गांव, कस्बे प्रभावित होते हैं. इतना ही नहीं असम की ब्रह्मपुत्र, भूटान, नेपाल, बिहार की नदियों से भी उत्तर बंगाल कई बार बाढ़ ग्रस्त हो जाता है और इससे बंगाल सरकार को अकेले ही मुकाबला करना पड़ता है. केंद्र सरकार से मदद की तो दूर की बात सहानुभूति की भी आशा नहीं की जा सकती.