सिलीगुड़ी : जीएसटी की वजह से सिर्फ आम व्यापारी ही नहीं बल्कि प्रतिमा बनानेवाले कलाकार भी परेशान हैं. जीएसटी का सीधा असर इनके कारोबार पर पड़ा है. इसबार दुर्गापूजा में जीएसटी के असर से प्रतिमा बनानेवाले कलाकारों को उचित कीमत नहीं मिलने की संभावना देखी जा रही है. सिलीगुड़ी में हिलकार्ट रोड के निकट ही कुम्हारटोली है.
यहां काफी संख्या में प्रतिमा बनानेवाले कलाकार रहते हैं. मूर्तियां बनाकर बेचना ही इनकी रोजीरोटी का मुख्य साधन है. कालीपूजा, दुर्गापूजा, विश्वकर्मा पूजा आदि मौके पर काफी संख्या में मूर्तियों का निर्माण होता है. त्यौहार के मौके पर प्रतिमा बेचकर ये सभी मुनाफा भी कमा लेते हैं. इसबार दुर्गापूजा के समय स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है. सिर्फ जीएसटी ही नहीं बल्कि उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों पर बाढ़ एवं तीन महीने से जारी बेमियादी पहाड़ बंद का असर भी प्रतिमा कलाकारों पर देखने को मिल रहा है. कुम्हारटोली के प्रतिमा कलाकार दीपक पाल का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल दुर्गापूजा में मुनाफा की बात तो दूर, उल्टे घाटा होने की संभावना है. पहले दुर्गापूजा में कई प्रतिमा बनाकर अच्छी कमाई कर लेते थे.
इसबार स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है. जीएसटी की वजह से प्रतिमा बनाने की लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो गयी है. ऊपर से महंगाई ने भी अपना असर दिखाया है. श्री पाल ने आगे कहा कि सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग पहाड़ के साथ ही पूरे उत्तर बंगाल में दुर्गा प्रतिमा भेजी जाती है. उत्तर बंगाल के छह जिले इसबार बाढ़ की चपेट में है. कई पूजा कमेटियों ने इस साल दुर्गा पूजा को या तो स्थगित कर दिया है, या बजट में कटौती कर दी है. बाढ़ प्रभावित इलाके से पूजा कमेटी के सदस्य यहां प्रतिमा बनबाने के लिए आ तो रहे हैं, लेकिन दाम देने के लिए तैयार नहीं है.
कमोवेश यही स्थिति दार्जिलिंग पहाड़ की है. यहां उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में गोरखालैंड आंदोलन की वजह से पिछले तीन महीने से बेमियादी बंद है. दुर्गापूजा के बस कुछ ही दिन बचे हुए है. वहां पूजा का आयोजन होगा कि नहीं, किसी को पता नहीं है. सोमवार को राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में भी पहाड़ समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. इस बैठक के बाद पहाड़ पर स्थिति सामान्य होने के साथ ही बंद खत्म होने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.
इस बार क्लब वालों ने की बजट में कटौती
कुछ कलाकारों ने यह भी कहा कि नोटबंदी के दौरान भी कुछ इसी प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई थी, लेकिन तब उतना नुकसान नहीं हुआ था. इस बार स्थिति पूरी तरह से अलग है. प्रतिमा बनानेवाले कलाकारों को तीन तरफा मार झेलनी पड़ रही है. जीएसटी के बाद बाढ़, पहाड़ पर बेमियादी बंद तो है ही महंगाई भी अपनी चरम पर है. दीपक पाल का कहना है कि पहले जो सामान पांच रुपये में खरीदते थे, वह अब 20 रुपये में मिल रहा है. क्लब वालों ने बजट में कटौती कर दी है. इसी वजह से वह लोग प्रतिमा के उचित दाम देने को तैयार नहीं है. ऐसी परिस्थिति से कुम्हार टोली के कलाकारों में भारी निराशा है.
पहाड़ के पूजा आयोजन को लेकर असमंजस
मंगलवार को भी पहाड़ पर बंद जैसा ही नजारा देखा गया. कुम्हारटोली के कुछ मूर्तिकारों ने बताया कि दार्जिलंग पहाड़ के कुछ स्थानों से प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दिया है और कुछ रुपये एडवांस भी दे गये हैं. काफी हद तक प्रतिमा का निर्माण भी हो रहा है. दुर्गा प्रतिमा बन जाने के बाद पहाड़ के पूजा आयोजक प्रतिमा को यहां से लेकर जायेंगे कि नहीं यह कुछ भी तय नहीं है. यदि प्रतिमा नहीं ले गये, तो प्रतिमा बनानेवाले कलाकारों को काफी परेशानी होगी और घाटा भी उठाना पड़ेगा.