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श्रमिकों को स्वास्थ्य साथी का लाभ दिलायें बागान : गौतम देव
सिलीगुड़ी: चाय बागानों की जमीन प्रमोटरों के हाथ में जाने से रोकने का सख्त निर्देश उत्तर बंगाल चाय निदेशालय के निदेशक सह राज्य के पर्यटनमंत्री गौतम देव ने दिया है. साथ ही चाय श्रमिकों को राज्य सरकार की स्वास्थ साथी योजना के अंतर्गत शामिल करने की जिम्मेदारी भी मालिकों को सौंप दी. उत्तर बंगाल के […]
सिलीगुड़ी: चाय बागानों की जमीन प्रमोटरों के हाथ में जाने से रोकने का सख्त निर्देश उत्तर बंगाल चाय निदेशालय के निदेशक सह राज्य के पर्यटनमंत्री गौतम देव ने दिया है. साथ ही चाय श्रमिकों को राज्य सरकार की स्वास्थ साथी योजना के अंतर्गत शामिल करने की जिम्मेदारी भी मालिकों को सौंप दी. उत्तर बंगाल के चाय उद्योग को फिर से रास्ते पर लाने के लिए श्री देव ने कुछ अहम फैसले भी लिये हैं. शनिवार को उत्तर बंगाल के कई चाय बागान मालिकों के साथ की गयी एक बैठक में मंत्री ने केंद्र की भाजपा सरकार को फिर से निशाने पर लिया.
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा चाय उद्योग बेपटरी हो गयी है. स्थिति में सुधार होने के बजाय चाय उद्योग चरमराती जा रही है. न्यूनतम मजदूरी की बढ़ती मांग की वजह से एक के बाद चाय बागान बंद होते जा रहे हैं. बेरोजगार हुए चाय श्रमिक काम की तलाश में देश के भिन्न राज्यों का रुख करने लगे हैं. चाय बागानों की लचर व्यवस्था का लाभ उठाकर बागान की जमीन को लेकर प्रमोटर अपना गोरखधंधा चला रहे हैं. कई चाय बागानों की जमीन दखल होती जा रही है. भू-माफिया बागान की जमीन पर रातों-रात सैकड़ो लोगों को बसाते जा रहे हैं. लेकिन प्रमोटरों का यह गोरखधंधा अब नहीं चलेगा.
श्री देव ने भूमाफिया व प्रमोटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. बैठक में उपस्थित चाय बागान के मालिकों ने भी कई प्रकार की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. चर्चा के दौरान मालिक पक्ष की ओर से बताया गया कि राज्य व केंद्र सरकार की कई परियोजनाएं चाय बागानों के श्रमिकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. जिसकी वजह से समस्या और भी गंभीर होती जा रही है. डेंगू, मलेरिया व अन्य कई बीमारियां भी इस उद्योग की स्थिति को बिगाड़ने में सहायक साबित हुई हैं.
चाय बागानों की चिकित्सा व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगा है.
राज्य की स्वास्थ्य साथी परियोजना का लाभ भी श्रमिकों को नहीं मिल पा रहा है. श्रमिकों को स्वास्थ्य साथी के अंतर्गत शामिल करने की जिम्मेदारी चाय बागान के मालिकों को सौंपी गयी है. प्रति श्रमिक तीस रुपये के हिसाब से रुपया देकर बागान प्रबंधन श्रमिकों को स्वास्थ्य साथी परियोजना में शामिल करायेगी. इस योजना से जुड़े श्रमिकों को चिकित्सा में राज्य सरकार की ओर से काफी सुविधाएं मिलेंगी.
श्रमिकों की समस्या पर बैठक
बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री देव ने बताया कि मालिक पक्ष की ओर से कई प्रस्ताव मिले हैं. चाय श्रमिकों की समस्या को लेकर मालिक पक्ष के साथ बृहत रूप से विचार-विमर्श किया गया. आवास, भोजन सहित राज्य सरकार की अन्य परियोजनाओं को श्रमिकों तक पहुंचाने में सहायता करने का आश्वासन भी मालिक पक्ष की ओर से मिला है. श्री देव ने आगे कहा कि सभी चाय श्रमिकों को राज्य सरकारी की स्वास्थ्य साथी परियोजना के अंतर्गत शामिल करने की जिम्मेदारी भी मालिक पक्ष को सौंपी गयी है. इसके अतिरिक्त चाय बागान की जमीन पर अवैध कब्जा पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
चाय बागानों की समस्याओं पर रिपोर्ट सीएम को सौंपी जायेगी
उन्होंने कहा कि चाय उद्योग को बचाने के लिए राज्य सरकार अपनी ओर से भरसक कोशिश कर रही है, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है. चाय श्रमिक व बागान से जुड़े समस्याओं को सुलझाने के बजाए भाजपा उन मुद्दों को लेकर राजनीति कर रही है. श्री देव ने बताया कि आज की बैठक से संबंधित उत्तर बंगाल के सभी चाय बागानों की समस्याओं को लेकर एक रिपोर्ट राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपी जायेगी.
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