कोलकाता/नयी दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की निर्वाचन आयोग की घोषणा को गुपचुप तरीके से एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लाने का एक कुटिल प्रयास बताया. पुनरीक्षण के समय पर सवाल उठाते हुए, तृणमूल नेता ओब्रायन ने शनिवार को नयी दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा : ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियां संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे को उठायेंगी. निर्वाचन आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्देश जारी किये थे.
आयोग ने कहा था कि इसका उद्देश्य सूची से अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाना और सभी पात्र व्यक्तियों के नाम शामिल करना है, ताकि वे इस साल के अंत में होने वाले चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. बिहार में मतदाता सूची का अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था. ओब्रायन ने बयान में कहा : यह पुनरीक्षण अचानक अभी क्यों किया जा रहा है? साथ ही उन्होंने दावा किया कि हमारे पास इस बात के सबूत हैं, कि ऐसा अब क्यों किया जा रहा है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा के नवीनतम आंतरिक सर्वेक्षण में (अगले साल की शुरुआत में) राज्य के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 46 से 49 सीट पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है. चीजों को बदलने की हताशा में आप ऐसी चीजें करते हैं. तृणमूल के राज्यसभा संसदीय दल के नेता ओब्रायन ने यह भी आरोप लगाया कि यह गुपचुप तरीके से एनआरसी लाने की एक कुटिल चाल है. ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियां संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे को उठायेंगी. हम सभी इस मुद्दे पर एकमत हैं. हम संसद सत्र शुरू होने का इंतजार नहीं करेंगे. इसके लिए इंतजार नहीं किया जा सकता.
गत शुक्रवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा और ऐसा नहीं करने का आग्रह किया. बिहार के बाद, निर्वाचन आयोग इस साल के अंत में पांच राज्यों की मतदाता सूचियों की इसी तरह की समीक्षा करेगा, जहां अगले साल चुनाव होने हैं. असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई-जून में समाप्त होगा.
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