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अब आदिवासी-दलित-पिछड़ी जातियों पर फोकस

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में रामनवमी व हनुमान जयंती के सफल आयोजन के बाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी व अन्य संबद्ध संगठनों ने राज्य में आदिवासियों, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्गों पर फोकस करना आरंभ कर दिया है. पूर्व मेदिनीपुर के कांथी विधानसभा उपचुनाव मेें भाजपा के […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में रामनवमी व हनुमान जयंती के सफल आयोजन के बाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी व अन्य संबद्ध संगठनों ने राज्य में आदिवासियों, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्गों पर फोकस करना आरंभ कर दिया है. पूर्व मेदिनीपुर के कांथी विधानसभा उपचुनाव मेें भाजपा के पराजय के बावजूद 22 फीसदी मत में इजाफा से भगवा खेमे में उत्साह और भी बढ़ गया है. शुक्रवार को भारतीय संविधान के निर्माता बाबा भीमराम अंबेडकर की जयंती के अवसर पर भगवा खेमे के उत्साह को देखने को मिला.
कुल आबादी के लगभग 28 फीसदी हैं एससी/एसटी
पश्चिम बंगाल की कुल आबादी के लगभग 28 फीसदी दलित, आदिवासी, अनुसूचित जाति, जनजातियों की आबादी है, जो चुनाव में जीत हासिल करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके अतिरिक्त 27 फीसदी आबादी मुसलिमों की है. वरिष्ठ नेता का कहना है कि भगवा पार्टियों व संगठनों द्वारा 27 फीसदी की मुसलिमों की आबादी में घुसपैठ करना कठिन है, लेकिन अनुसूचित जाति और जनजातियों में घुसपैठ करना ज्यादा आसान है और इसके माध्यम से बंगाल की राजनीति में परिवर्तन लाया जा सकता है.
बाबा साहब आदर्शों से ही विकास संभव : मनोज
रेड रोड स्थित डॉ अंबेडकर की मूर्ति पर शुक्रवार को माल्यार्पण करने पहुंचे बिहार के सारण के वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि बाबा अंबेडकर के निर्देशानुसार, ‘हमें शिक्षित होना होगा, संघर्ष करना होगा और संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा.’ आज समाज में जो लोग भी खुशहाल हैं. वे कहीं न कहीं संगठित हैं. उनसे हमें सीख लेनी होगी. श्री सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपने बलिदान से राजनीतिक आजादी हासिल की है. हमें उससे भी बड़ा संघर्ष कर आर्थिक और सामाजिक आजादी प्राप्त करनी होगी. बाबा अंबेडकर के विचारों और आदर्शों को जमीनी स्तर पर दलितों व पीड़ितों तक पहुंचायेंगे. बिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी मुक्ति का रास्ता बाबा अंबेडकर ही दिखायेंगे और इनके आदर्शों का पालन कर ही राज्य का विकास संभव है.
‘समरस समाज’ के विकास की वकालत
आरएसएस के प्रांत कार्यवह डॉ जिष्णु बसु का कहना है कि आरएसएस ‘समरस समाज’ के विकास के लिए प्रयत्नशील है. समाज के संपूर्ण विकास तभी हो सकता है, जब समाज के प्रत्येक वर्ग चाहे वह दलित और पिछड़ा हो, सभी का विकास हो. पिछले वर्ष आरएसएस की ओर से आरएसएस के दूसरे सर संघचालक बाबा साहेब देवरा के बसंत व्याख्यानमाला प्रकाशित किया गया था. इसके अतिरिक्त बाबा साहेब के सिद्धांतों व विचारों को भी स्थानीय स्तर पर पहुंचाने का कार्य चल रहा है.
दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठा रहा है आरएसएस
आरएसएस लगातार दलितों पर अत्याचार और उनके पिछड़ेपन का मुद्दा उठा रहा है. डॉ जिष्णु का कहना है कि हाल में जेहादियों के आक्रमण में सबसे ज्यादा क्षति दलितों और पिछड़ों की हुई है. राज्य के जुरानपुर में मारू हाजरा पर हमले का मामला हो या फिर अन्य किसी का. यह देखने में आया है कि सबसे अधिक हिंसा व अत्याचार के शिकार दलित व पिछड़े वर्ग के लोग ही हो रहे हैं.
बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजन की योजना
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है हाल में बहरमपुर में मधु भाई कुलकर्णी को लेकर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था. स्वामी विवेकानंद, बाबा साहेब अंबेडकर सहित अन्य महापुरुषों को लेकर लगातार कार्यक्रम का आयोजन करते रहे हैं. पश्चिम बंगाल में एक बड़े स्तर पर कार्यक्रम के आयोजन की योजना है, हालांकि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और न ही इसकी तिथि ही तय हुई है, लेकिन शीघ्र ही एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.

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