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मेडिकल कॉलेज में हो रहा ब्रेस्ट ट्रांसप्लांट

बंगाल के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से किया जा रहा इलाज कोलकाता : कैंसर जैसी बीमारी आज भी मेडिकल साइंस के समझ से परे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होनेवाली सबसे कॉमन बीमारी है. इस बीमारी से देश में प्रत्येक साल करीब […]

बंगाल के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से किया जा रहा इलाज
कोलकाता : कैंसर जैसी बीमारी आज भी मेडिकल साइंस के समझ से परे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होनेवाली सबसे कॉमन बीमारी है. इस बीमारी से देश में प्रत्येक साल करीब दो लाख महिलाओं की मौत हो जाती है.
इसके इलाज के दौरान अधिकतर मामलों में ब्रेस्ट को काट कर शरीर से अलग कर दिया जाता है. लेकिन महानगर के कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ऐसी तकनीक से चिकित्सका की जा रही है, जिससे महिलाओं का स्तन काट कर अगल किये जाने के बाद दोबारा इसका ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. इस तकनीक को ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन कहा जाता है.
यह नयी तकनीक नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार इसके जरिये इलाज किया जा रहा है. ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन दो तरह से किया जाता है- ब्रेस्ट इम्प्लांट तथा ब्रेस्ट ग्राफ्टिंग. इम्प्लांट के दौरान बाहर से चिकित्सकीय उपकरणों को इम्प्लांट किया जाता है. वहीं ग्राफ्टिंग के दौरान शरीर से टिशू व मांस को निकाल कर ब्रेस्ट ट्रांसप्लांट किया जाता है. मेडिकल कॉलेज में मरीज के टिशु से ब्रेस्ट ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. यहां अभी इम्प्लांट चालू नहीं हुआ. यह सर्जरी नि:शुल्क की जा रही है. इस इलाज किसी अन्य अस्पताल में कराने पर करीब एक लाख रुपये का खर्च आता है.
सिर्फ मंगलवार को ही खुलता है आउटडोर
ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन के लिए मेडिकल कॉलेज में ब्रेस्ट क्लिनिक खोला गया है. जनरल सर्जरी विभाग में आउटडोर विभाग संचालित है, जो सिर्फ मंगलावर को खुला रहता है. इस क्लिनिक में स्तनजनित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. इसे करीब एक साल पहले चालू किया गया था. अब हाल में ही यहां ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन शुरू हुआ है.
मेडिकल कॉलेज द्वारा स्तन कैंसर की जांच के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में शिविर लगाने की योजना है. फिलहाल हुगली जिले के तारकेश्वर, आरामबाग जैसे सुदूर इलाकों में शिविर लगाया जा रहा है.
भविष्य में अन्य जिलों में भी शिविर लगाये जायेंगे. अस्पताल के क्लिनिक में हर सप्ताह करीब 200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इनमें से कुछ कैंसर ग्रसित महिलाओं को ब्रेस्ट ट्रांसप्लांटकी आवश्यकता होती है. लेकिन जागरूकता के अभाव में इनमें से कुछ महिलाएं ही इसके लिए तैयार होती हैं.
प्रो डॉ केएन दास, विभागाध्यक्ष (कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल)

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