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आठ बांग्लादेशी बच्चे भेजे गये घर

सीमापार परिजनों के छलके आंसू और 46 को वापस भेजने की तैयारी बालुरघाट. कोइ काम की तालाश में तो कोई तस्करों के चंगुल में फंस कर भारत आये थे. पुलिस ने सभी बच्चों को बरामद कर बालुरघाट स्थित सरकारी होम में भेज दिया था. करीब दो वर्ष गुजरने के बाद चाइल्ड लाइन की पहल पर […]

सीमापार परिजनों के छलके आंसू
और 46 को वापस भेजने की तैयारी
बालुरघाट. कोइ काम की तालाश में तो कोई तस्करों के चंगुल में फंस कर भारत आये थे. पुलिस ने सभी बच्चों को बरामद कर बालुरघाट स्थित सरकारी होम में भेज दिया था. करीब दो वर्ष गुजरने के बाद चाइल्ड लाइन की पहल पर दोनों देशों की हाइ कमीशन की ओर से बच्चों को वापस उनके घर भेजने की प्रक्रिया शुरू हुयी. शनिवार को आठ बांग्लादेशी बच्चों को उनके परिवार के हाथों सौंप दिया गया. बालुरघाट के भारत-बांग्लादेश सीमांत हिली से इन सभी को उस पार भेज दिया गया. काफी दिनों के बाद अपने बच्चों को नजरों के सामने देखकर परिजनों के आंखो के आंसू रूक ही नहीं रहे थे.
सीमा पार करने की कोशिश में हिली सीमांत से यह सभी पकड़े गये थे. इसके अतिरिक्त अन्य सात बच्चे करीब डेढ़ नर्ष पहले काम के लिये बांग्लादेश से दिल्ली के लिये रवाना किये गये थे. अवैध रूप से सीमा पार कराये जाने के बाद पुलिस ने इन सातों को धर लिया था. पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद सारी कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से इन्हें जिले के सरकारी होम में रखा गया.
शनिवार को दोनों देशों के अधिकारियों की उपस्थिति में आठों बच्चों को उनके परिवार के हाथों सौंपकर उन्हें वापस बांग्लादेश भेज दिया गया. आज के इस प्रत्यार्पण कार्यक्रम में हिली चेकपोस्ट प्रभारी नाजिर हुसैन, रफिकुत जामान, हिली थाने के पुलिस अधिकारी, बीएसएफ अधिकारी सहित स्वयंसेवी संस्था के जिला को-ऑर्डिनेटर सूरज दास सहित बांग्लादेश के स्वयंसेवी संस्था के सदस्य उपस्थित थे. सूरज दास ने बताया कि ये आठों बच्चे बांग्लादेश से भारत पहुंचे थे.
कोई काम की तालाश में तो कोई मानव तस्कर गिरोह के चंगुल में फंस कर भारत पहुंचा था. पुलिस द्वारा इन आठों को बरामद करने के बाद सरकारी नियमानुसार सरकारी होम में रखा गया था. करीब दो वर्ष अपने परिवार से दूर भारत के सरकारी आवास में रहने के बाद शनिवार को इन आठों बच्चों को इनके परिजनों को सौंप दिया गया. इसके अतिरिक्त भी होम में और 46 बांग्लादेशी नाबालिक बच्चे हैं. उन्हें भी उनके परिवार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.

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