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जेयू में शिक्षकों ने किया धरना-प्रदर्शन

कोलकाता. जादवपुर यूनिवर्सिटी में तीन रिटायर्ड शिक्षकों की पुनर्बहाली का मुद्दा अब गहराता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर जहां यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. सुरंजन दास को पत्र लिखकर उच्च शिक्षा विभाग में बुलाया जा रहा है, वहीं शिक्षकों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स […]

कोलकाता. जादवपुर यूनिवर्सिटी में तीन रिटायर्ड शिक्षकों की पुनर्बहाली का मुद्दा अब गहराता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर जहां यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. सुरंजन दास को पत्र लिखकर उच्च शिक्षा विभाग में बुलाया जा रहा है, वहीं शिक्षकों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

मंगलवार को जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जूटा) की ओर से वाइस चांसलर के कक्ष के सामने एक विरोध-प्रदर्शन किया गया. शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने अचानक यह आदेश देकर अनुसंधान करनेवाले छात्रों व स्कॉलरों की पढ़ाई का नुकसान किया है. जिन रिटायर्ड शिक्षकों की फिर से बहाली होने का समय था, उनको कई प्रोजेक्ट पूरे करवाने थे, लेकिन अब सरकारी फरमान के बाद नये सिरे से छात्रों को प्रोजेक्ट शुरू करने होंगे.

जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के सहायक सचिव पार्थो राय का कहना है कि इस मामले को लेकर एक हस्ताक्षर अभियान बहुत जल्दी चलाया जायेगा. जब यूजीसी ने 65 साल तक शिक्षकों को पढ़ाने की अनुमति दी है तो इस प्रावधान को रद्द क्यों किया जा रहा है. संगठन ने वाइस चांसलर को एक पत्र भी दिया है. वहीं उच्च शिक्षा विभागीय सूत्रों ने बताया कि अपनी मर्जी से रिटायर्ड शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर वाइस चांसलर प्रो. सुरंजन दास को शिक्षा सचिव विवेक कुमार से मिलने के लिए कहा गया है.

सरकारी आदेश का उल्लंघन करके तीन शिक्षकों की पुनर्बहाली का निर्णय कैसे लिया गया. जेयू प्रशासन को अपना फैसला रद्द करना होगा. इन शिक्षकों को 1 दिसंबर को फिर से रखा गया. जबकि सरकार ने नये सिरे से ऐसे शिक्षकों की पुनबर्हाली व उनका कार्यकाल बढ़ाने पर रोक लगा दी थी. यह आदेश इसलिए लाया गया, क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग में यह शिकायत मिली थी कि विश्वविद्यालय 1979 के सरकारी आदेश के उस प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि बहुत खास तरह के मेधावी रिटायर्ड टीचर्स को ही पुनर्नियुक्त किया जा सकता है.

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