माकपा नेता ने दावा किया है कि नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित अस्थायी श्रमिक, खुदरा व्यवसायी, किसान, खेतिहर मजदूर, बस्तियों में रहनेवाले लोग हैं. समय के साथ उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. रोज कमाने-खानेवाले लोगों पर भी आफत बनी हुई है. आरोप के अनुसार लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज कर भाजपा की ओर से नोटबंदी के फैसले को कारगर बताया जा रहा है.
दावा किया जा रहा है कि नोटबंदी के कदम से काला धन पर लगाम लगने के साथ ही आतंकियों के मंसूबों पर भी पानी फिर गया है. इन दावों के बीच कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. माकपा के प्रदेश सचिव ने सवाल किया कि सारधा सहित अन्य चिटफंड कांड के पीड़ितों को मुआवजा देने, कई नेताओं के रुपये लिए जाने संबंधित कथित स्टिंग ऑपरेशन की सटीक जांच, बेरोजगारी की समस्या दूर करने की बात क्यों नहीं सोचा जा रहा है? बाजार में 500 रुपये के नये नोट की उपलब्ध नहीं है. ऐसे में लोगों को खुदरा मिल पाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. माकपा की ओर से मांग की गयी है कि जब तक नये नोटों की उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक पुराने नोट का प्रचलन बहाल रखा जाये. साथ ही 100, 50, 20 रुपये के नोट का परिमाण बढ़ाया जाये.