पुराने नोट पर कोणार्क के सूर्य मंदिर में लगा चक्र भवन निर्माण में समृद्ध पुरानी कला को दर्शाता है, जबकि दूसरे नोट पर लगी पाम के पेड़ की फोटो अंडमान द्वीप की तसवीर है, जहां भारत के समुद्री रूप का उल्लेख है. 50 रुपए के नोट पर संसद भवन की तसवीर है, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को दिखाती है. 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की तसवीर है, जो भारत की सबसे ऊंची पहाड़ी कंचनजंघा से ली गयी है. यह भारत की ऊंची पर्वत श्रृंखला को दर्शाती है. पांच सौ के नोट पर गांधी जी की दांडी मार्च की तसवीर है, जो भारत की आज़ादी की लड़ाई को दर्शाती है. एक हजार रुपये पर गेहूं के पौधे के अलावा कंप्यूटर, सेटेलाइट और टॉवर आदि की तसवीर है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक दरबार में सामने रखते हुए दर्शाती है.
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देश में पहले भी नोट हुए हैं खारिज
कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में काले धन की समस्या से निबटने के लिए 500 व 1000 रुपये के नोट को अमान्य करने की घोषणा की. हालांकि देश में इससे पहले भी नोटों को खारिज किया जा चुका है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में 10 हजार रुपये के नोट भी छप चुके […]
कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में काले धन की समस्या से निबटने के लिए 500 व 1000 रुपये के नोट को अमान्य करने की घोषणा की. हालांकि देश में इससे पहले भी नोटों को खारिज किया जा चुका है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में 10 हजार रुपये के नोट भी छप चुके हैं. हालांकि बाद में उन्हें खारिज किया गया.
1938 में पहली बार रिजर्व बैंक ने 10,000 रुपये का नोट भारत में छापा था. रिजर्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली पेपर करेंसी छापी थी, जो 5 रुपये नोट की थी. इसी साल 10 रुपये , 100 रुपये , 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट भी छापे गये थे. हालांकि, 1946 में 1,000 और 10 हजार के नोट बंद कर दिए गये थे लेकिन 1954 में एक बार फिर से 1,000 और 10,000 रुपए के नोट छापे गये. साथ ही 5,000 रुपए के नोट की भी छपाई की गयी लेकिन, 1978 में 10,000 और 5,000 के नोट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया.
कितना खर्च होता है नोटों की छपाई पर
एक हजार रुपये का एक नोट 2.96 रुपये में छपता है, जबकि दस रुपये का नोट 75 पैसे में. भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत जानकारी दी है कि हर नोट को छापने पर अलग-अलग खर्च आता है. उल्लेखनीय है कि आरबीआइ की नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पिछले एक साल से एक, दो और पांच रुपये के नोट नहीं छाप रही है जहां एक हजार रुपये का नोट 2.96 रुपये में छपता है वहीं 500 रुपये का नोट 2.89 रुपये में छपता है. आरटीआइ के तहत आरबीआइ की नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, बेंगलूर से एक रुपये के नोट से लेकर एक हजार रुपये तक के नोट छापने पर आने वाले खर्च की जानकारी मांगी गयी थी.
नोटों की संस्कृति
हमारा देश संस्कृति प्रधान देश है. हर क्षेत्र में हमारी संस्कृति की छाप नजर आती है. नोट भी इससे जुदा नहीं हैं. यहां भी देश की संस्कृति और मौजूदा व्यवस्था को दर्शाने की कोशिश की गयी. एक नजर डालें तो पता चलता है कि भारतीय नोट हों या सिक्का, यह हमें देश की संस्कृति और विकास की ही जानकारी देते हैं. एक रुपये का नोट सबसे छोटा नोट है. एक रुपए के छोटे से नोट पर ऑयल रिज की फोटो छपी होती है, जो भारत के उस विकास के बारे में बताती है जो केवल औद्योगिक प्रगति के जरिए ही हो सकती है. दो रुपये का नोट आकार में छोटा होता है. ये दो तरह के होते हैं. एक नोट पर भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट की तसवीर छपी होती है, जो हमारे देश की वैज्ञानिक तकनीकी की उन्नति को दर्शाता है, जबकि दूसरे नोट पर रॉयल बंगाल टाइगर की फोटो होती है, जो देश के राष्ट्रीय पशु को दर्शाने के साथ-साथ हमारी शक्ति को प्रदर्शित करता है. पांच रुपए के नोट में लगी तसवीर भारत के विकास में खेती की भूमिका को दर्शाती है. इस पर ट्रैक्टर चलाते किसान की फोटो छपी होती है.
दस रुपये को नोट में भारत की कला को दर्शाया गया है. समय के साथ-साथ दस रुपए के नोट में बदलाव आया. दस रुपये के नोट भी दो तरह के होते हैं. पुराने नोट पर मोर की तसवीर होती थी, जो भारत की संस्कृति एवं पुरानी कला को दर्शाया करती थी. वहीं दूसरी ओर अब दस रुपए के नये नोट पर शेर, हाथी समेत कई जानवरों की तसवीरें होती हैं, जो भारत की जैव विविधता को दर्शाती हैं. बीस रुपये के नोट के दो रूप देखने को मिलते हैं.
आखिर कितना है काला धन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 व 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने की घोषणा के बाद से ही कालेधन की समस्या पर एक बार फिर मंथन शुरू होने की संभावना है. लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी भाजपा की ओर से काले धन का मुद्दा उठाया गया था. देश में आखिर काला धन कितना है, इस पर विशेषज्ञों का अलग-अलग मत है. कुछ के मुताबिक यह 20 लाख करोड़ रुपये, तो कुछ का कहना है कि यह उससे भी अधिक है. हालांकि इसी वर्ष यह दावा किया गया था कि देश में काला धन लगभग 16 लाख करोड़ रुपये है. इनमें से अधिकतर रुपये लगभग 80 फीसदी 500 व 1000 रुपये के नोट हैं. इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि काला धन आखिर है क्या? नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी) के मुताबिक, काला धन वह आय है, जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है, लेकिन उसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं दी जाती है. कालाधन वही नहीं है, जो बिना किसी जानकारी के विदेशी बैंकों में जमा है. कालाधन वह भी है, जो देश के अंदर जमा है और देश के कर विभाग को इसकी खबर नहीं है. चुनाव प्रचार में इस्तेमाल की जानेवाली बेहिसाबी रकम भी इसी श्रेणी में आती है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2002 से 2011 के बीच देश से सबसे ज्यादा कालाधन विदेशों में पहुंचाया गया. एक आकलन के अनुसार इस दौरान देश से 343 बिलियन डॉलर देश से बाहर भेजे गये थे और भारत कालाधन बाहर भेजनेवाला पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया. यह रकम हवाला के जरिये देश के बाहर भेजी जाती है.
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