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सावधान! चीनी लाइट व पटाखों से सेहत को खतरा
शिव कुमार राउत कोलकाता : दीपावाली के दौरान चाइनीज लाइट व पटाखों से बाजार पट जाते हैं. चीन निर्मित लाइट व पटाखे भारतीय उत्पाद की तुलना में सस्ता होने के कारण लोगों का रुझान चीनी उत्पादों की ओर बढ़ जाता है, लेकिन चीनी लाइट व पटाखे सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं. यह जीवन में […]
शिव कुमार राउत
कोलकाता : दीपावाली के दौरान चाइनीज लाइट व पटाखों से बाजार पट जाते हैं. चीन निर्मित लाइट व पटाखे भारतीय उत्पाद की तुलना में सस्ता होने के कारण लोगों का रुझान चीनी उत्पादों की ओर बढ़ जाता है, लेकिन चीनी लाइट व पटाखे सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं.
यह जीवन में खुशियां बिखेरने के बजाय आपको अंधेरे में ढकेल सकते हैं. चाइनीज लाइट और पटाखों में ऐसे रासायनिक पदर्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए खतरनाक हैं और उनका इस्तेमाल भारत में प्रतिबंधित है. स्वास्थ्य भवन के वरिष्ठ अधिकारी व मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के पूर्व अधीक्षक प्रो डॉक्टर उछल कुमार भर्द ने लोगों को सावधान करते हुए इससे बचने की सलाह दी है.
एसएसकेएम अस्पताल के इएनटी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर कुंतल माइती के अनुसार केवल चाइनीज लाइट व पटाखे ही नहीं, किसी भी प्रकार के फैन्सी लाइट व पटाखे सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं.
चाइनीज लाइट व पटाखों की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि वे बेहद कम दाम में उपलब्ध हैं. इसलिए लोग स्वदेशी उत्पादों की जगह उसे खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं. चाइनीज लाइट व पटाखे रंग-बिरंगे होने के कारण लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन इस तरह के लाइट व पटाखे हानिकारक हैं.
पड़ सकते हैं गंभीर रूप से बीमार
आखों को हो सकता है नुकसान
चाइनीज लेजर लाइट की रोशनी ज्यादा समय तक आंखों पर पड़ने से रेटिना, कार्निया व आंखों की लेंस खराब हो सकती है. वहीं हाइ पावर एलइडी लाइट से निकलनेवाले घातक केमिकल हमारी आंखों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. इसी तरह चाइनीज पटाखों में कई प्रकार के सस्ते व घातक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो हामरी आंख, कान, हर्ट व फेफड़ों पर बुरा असर डालते हैं.
उन्होंने बताया कि आम तौर पर पटाखों में कार्बन मोनाऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रो कार्बन, लेड, हेवी मेटल केमिकल इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. चीन निर्मित पटाखों में इस तरह के केमिकल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, जिसके कारण वह लोगों को ज्यादा आकर्षक लगता है, लेकिन इस तरह के पटाखे फेफड़े व रक्त को क्षति पहुंचाते हैं. ऑक्सीजन के जरिये उक्त घातक केमिकल रक्त तक पहुंच जाते हैं और दूषित रक्त किडनी, हर्ट व विभिन्न आंगों तक पहुंच कर उन्हें क्षति पहुंचा सकते हैं.
हो सकते हैं बहरे
डॉ माइती ने बताया कि चीनी पटाखों में इस्तेमाल किये जानेवाले घातक केमिकल से बुजुर्गों को सांस लेने में समस्या हो सकती है. इन पटाखों के धुएं से बुजुर्ग व्यक्ति क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की चपेट में आ सकते हैं. पटाखों की आवाज से ऐसे लोगों को दिल का दौरा भी पड़ सकता है. पटाखों का सबसे बुरा असर कान के परदा पर पड़ता है. आम तौर पर चाइनीज पटाखे ज्यादा आवाजवाले होते हैं. 100 से 120 डेसीबल आवाजवाले पटाखों की ध्वनि से कान का परदा फट सकता है. इससे कान के काक्लियर भी डैमेज हो सकता है.
इससे लोग बहरे हो सकते हैं. कई बार इस तरह के मामलों में दवा, सर्जरी व हेयरिंग एड से भी बहरेपन का इलाज करना संभव नहीं हो पाता है. बच्चे आम तौर पर रंग मशाल, तुबरी को ज्यादा पसंद करते हैं. इसके जलने के दौरान इससे निकलनेवाली आग की चिनगारी को अधिक समय तक देखते रहने से बच्चों की आंखें खराब हो सकती हैं.
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