कोलकाता: भारत में चाइना टाउन यानी टेंगरा व तिरहट्टी बाजार में इन दिनों जबरदस्त तैयारी देखने को मिल रही है. भारत के एकमात्र इस चाइना टाउन में काफी गहमागहमी है. कारण है नये साल के स्वागत की तैयारी. इस बार चीनी नववर्ष 31 जनवरी यानी शुक्रवार से शुरू हो रहा है. हर चीनी वर्ष किसी न किसी जानवर से संबंध रखता है.
इस बार घोड़े का वर्ष है. चाइना टाउन में चारों ओर पारंपरिक लाल व सुनहरे ड्रैगन के स्टीकर नजर आ रहे हैं. इंडियन चाइनीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पॉल चीनी ने बताया कि चीनी परिवार आम तौर पर नया साल अपने घर पर मनाते हैं. ड्रैगन लोगों के घर-घर जाकर उन्हें आशीर्वाद देता है. उत्सव के दौरान चाइना टाउन में आतिशबाजी व नाचना आम बात है. हालांकि चीन की प्राचीन परंपरा में कहीं भी नव वर्ष पर नाचने की बात नहीं है.
यह भारतीय असर है. इस बार टेंगरा में मेले का भी आयोजन होगा, जो नये साल के तीसरे दिन लगेगा. इस बार चाइना टाउनको नया रूप देने व नयी शुरुआत करने की शपथ भी ली गयी है. महानगर में एक नहीं, बल्कि दो-दो चाइना टाउन हैं. तिरहट्टी बाजार को ओल्ड चाइना टाउन व टेंगरा को न्यू चाइना टाउन कहते हैं. कभी महानगर में चीनी समुदाय के लोगों की संख्या 20 हजार से अधिक थी, पर अब इनकी तादाद मात्र दो हजार ही रह गयी है. अधिकतर चीनी यूरोपीय देशों की ओर कूच कर चुके हैं. चाइना टाउन को एक नयी जिंदगी देने के लिए सिंगापुर की संस्था बजमीडिया व इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड क्लचरल हेरिटेज (आइएनटीएसीएच) के कोलकाता चैप्टर ने ‘दि चा प्रोजेक्ट’ परियोजना शुरू की है. बांग्ला व चीनी दोनों भाषाओं में चा का अर्थ चाय होता है. दोनों देशों में चाय लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग है.
आइएनटीएसीएस कोलकाता के संयोजक जीएम कपूर ने बताया कि सिंगापुर में रहनेवाला चीनी समुदाय हमारी इस पहल को अपनी तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है. चा प्रोजेक्ट का लक्ष्य चाइना टाउन के सुनहरे दिनों को वापस लाना व चीनी लोगों को यह सुनिश्चित कराना है कि वह भी इस महानगर की मुख्यधारा के हिस्सा हैं.
राज्य पर्यटन विभाग ने भी परियोजना में मदद की सहमति दी है. यह मदद केंद्र के जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुअल मिशन के हेरिटेज क्षेत्र से की जायेगी. आइएनटीएसीएच चाइना टाउन के विकास से संबंधित एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है, जिसके अगले तीन महीने में पूरा हो जाने की उम्मीद है. श्री कपूर ने बताया कि चीनी समुदाय के लोग महानगर में 1778 से रह रहे हैं. वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से युवा चीनीयों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया.
विकास परियोजना में इलाके में स्थित पुराने मंदिरों व कब्रिस्तान की मरम्मत करना, एक सांस्कृतिक व हेरिटेज म्यूजियम का निर्माण करना भी शामिल है, जहां चीनी कलाकृतियां रखी जायेंगी. छोटे-छोटे टी हाउस भी बनाये जायेंगे. पुराने पर नामचीन रेस्तरां की भी मरम्मत की जायेगी. परियोजना पहले तिरहट्टी बाजार में शुरू होगी.
फिर इस मॉडल को टेंगरा स्थित न्यू चाइना टाउन में शुरू करने की योजना है. चाइना टाउन अपने पारंपरिक चीनी व्यंजनों के लिए देश भर में मशहूर है. इस चीनी स्वाद को बनाये रखना भी परियोजना का एक हिस्सा है.
इंडियन चाइनीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पॉल चुंग का कहना है कि हम लोग राष्ट्रीयता के तौर पर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से चीनी हैं. हम बेहद छोटे स्तर पर चाइना टाउन की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं. परियोजना से हमारे समुदाय में एक नयी ऊर्जा जगी है. श्री कपूर ने बताया कि हमारी योजना चाइना टाउन के उस रूप को बरकरार रखना है, जिसके लिए यह विख्यात है. हम लोग चाइना टाउन को ग्लोबल सेंटर बनाना चाहते हैं. यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जहां चीनी समुदाय के लोग धाराप्रवाह हिंदी व बांग्ला भाषा में बातचीत करते हुए नजर आते हैं.