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छोटी बचत में राज्य बना नंबर वन
उत्तर प्रदेश को पछाड़ पहले पायदान पर पहुंचा कोलकाता : छोटी बचत के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर काबिज हो गया है. करीब चार वर्ष बाद राज्य को यह सफलता मिली. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार छोटी बचत के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2011-12 […]
उत्तर प्रदेश को पछाड़ पहले पायदान पर पहुंचा
कोलकाता : छोटी बचत के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर काबिज हो गया है. करीब चार वर्ष बाद राज्य को यह सफलता मिली. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार छोटी बचत के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2011-12 से लगातार उत्तर प्रदेश से पीछे रहे बंगाल ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में उसे पछाड़ कर देश में पहला स्थान हासिल कर लिया.
वित्त वर्ष 2015-16 में बंगाल में छोटी बचत की मात्रा 836286 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी. अर्थात इस वर्ष राज्य में 2500 करोड़ रुपये अधिक जमा हुए. वेस्ट बंगाल स्मॉल सेविंग्स एजेंट एसोसिएशन के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में राज्य में छोटी बचत की यह लहर बरकरार रहेगी. अप्रैल एवं मई में राज्य में छोटी बचत के खातों में लगभग 200 करोड़ रुपया जमा हो चुका है. कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट (एनएससी), किसान विकास पत्र (केवीपी) इत्यादि जैसी छोटी बचत के खातों में निवेश की मात्रा में इजाफा हुआ है. इस बचत के ऊपर निर्भर कर राज्य सरकार को बाजार से आैर ऋण लेने में मदद मिलेगी.
वर्ष 2016-17 में सेल्फ हेल्प ग्रुप को 3262 करोड़ का कर्ज देगी राज्य सरकार
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनी सेवाओं का विस्तार व नयी शाखाएं नहीं खोल रहे हैं, जिसकी वजह से राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्राें के सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) का चाहते हुए भी इन तक सेवाएं नहीं पहुंचा पा रही है.
ये बातें शनिवार को राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने बैंक के साथ एसएचपी के लिंकेज के संबंध में आयोजित सेमिनार के दौरान कहीं.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य सरकार ने बैंक के माध्यम से स्टेट रूरज लाइवलीहूड मिशन (एसआरएलएम) के माध्यम से राज्य के दो लाख से भी अधिक एसएचजी को 3262 करोड़ रुपये कर्ज प्रदान करने का लक्ष्य रखा है.
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की अनिच्छा की वजह से सेवाओं का विस्तार नहीं हाे रहा है, इसलिए कई मामलों में राज्य सरकार द्वारा एसएचजी को नकद राशि देनी पड़ रही है, इससे कार्याें में पारदर्शिता नहीं आ रही है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कई बार राष्ट्रीय बैंकों को नयी शाखाएं खोलने का आग्रह किया है. यहां तक कि राज्य सरकार ने बैंकों को एक रुपये में जमीन देने की घोषणा की है.
इसके बावजूद बैंक उदासीन हैं. बैंक के इस असहयोग का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह तो बैंक ही जानते हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में राज्य सरकार ने एसएचजी को लगभग 2012 करोड़ रुपये दिये थे. इस वर्ष राज्य सरकार ने 3262.88 करोड़ रुपये देने का लक्ष्य रखा है. श्री मुखर्जी ने दावे के साथ कहा कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मदद करें, तो यह राशि 4000 करोड़ रुपये तक हो सकती है.
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