कोलकाता : शोधकर्ताओं का कहना है कि बाढ़ से संबंधित कोई भी चेतावनी प्रणाली नहीं होने के कारण असम के लोग जानवरों के व्यवहार को देख कर बाढ़ का अंदाजा लगा लेते हैं. अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, जब टिड्डे और कीट-पतंगे घरों से निकल कर बेतरतीब तरीके से उड़ कर घरों में आने लगते हैं, तो इससे ग्रामीण मौसम के अचानक बदलने और ज्यादतर समय भारी बारिश और बाढ़ के तौर पर लगाते हैं.
वहीं, जब चीटियां अंडे और खाने के सामान के साथ घर बदल कर ऊंची जगहों पर जाने लगती हैं, तो माना जाता है कि निश्चित तौर पर बाढ़ आयेगी. वहीं दूसरी ओर जब लोमड़ी ऊंचे स्थान पर जाकर जोर-जोर से आवाजें निकालती है, तो इसका मतलब यहां के ग्रामीण सूखे से और जब वह नीचे खड़ी होकर ऐसा करती है, तो इसका मतलब भयंकर बाढ़ आने से लगाते हैं.
कबूतरों के चीखने, दो पक्षियों के रोने से भी लगाते हैं अंदाजा
लुधियाना स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॅाजी के वैज्ञानिक अरमान यू मुजादादी की रिपोर्ट के अनुसार, कबूतरों के चीखने की आवाज और दो विशेष प्रजातियों के पक्षियों के रोने की आवाज भी चेतावनी का संकेत माना जाता है. भारी बारिश और बाढ़ से पहले मेढक लगातार आवाज निकालते रहते हैं. इस तरह की जानकारियां होने से अक्सर आनेली बाढ़ से मछुआरों और असम के धीमाजी जिले के लोगों की जान-माल का बचाव हो पाता है. शताब्दियों से लोग इस तरह की तकनीक का उपयोग बचने के लिए कर रहे हैं. शोधार्थियों के समूहों ने सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित तीन जिलों के मछुआरों और स्थानीय लोगों से बातचीत की.
अरुणाचल के नमसाई पूर्वी सियांग में चिंता
अरुणाचल के नमसाई और पूर्वी सियांग जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. नमसाई में बाढ़ की स्थिति और खराब हो गयी, जहां नोआ देहिंग, टेंगापानी और जेंगथू नदियों से कई इलाके डूबे हुए हैं. नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. बिजली आपूर्ति बाधित है, क्योंकि लेकांग सर्किल में भूक्षरण से पोल उखड़े हैं.
असम में बाढ़ के आकलन के लिए केंद्र भेजेगा टीम : जल संसाधन मंत्री केशब महंत ने विधानसभा में बाढ़ पर चर्चा के दौरान बताया,‘गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार वर्तमान बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए जल्द ही एक टीम असम रवाना करेगी.’