बैंगलुरु/कोलकाता. श्री गुरु पूर्णिमा आयोजन समिति के तत्वावधान में बेंगलुरु में गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर पैलेस ग्राउंड में ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव के पावन सान्निध्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में गुरुभक्त समारोह स्थल पर उपस्थित थे. सुबह से ही भक्तों के आने का सिलसिला चालू हो गया और शाम होते होते पैलेस ग्राउण्ड का बैंक्वेट हाॅल भक्तों से खचाखच भर गया. सभी की निगाहें गुरु के दर्शनों को लालायित थी. ज्यों ही ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव ने समारोह स्थल पर प्रवेश किया चारो ओर से जयकारे लगने लगे. हर एक निगाहें ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव के दर्शन और आशीर्वाद की लालसा लिए बैठी थी.
भक्तों के बीच मंद मंद मुस्कान के साथ आगे बढ़ते गुरुदेव ने भी भक्तों को निराश नहीं किया और जमकर अपना आशीर्वाद लुटाया. एप्रीसियेसन सेरेमनी के इस भव्य आयोजन में भक्तों को आशीर्वाद देते हुए ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव ने कहा कि छोटे मन से कोई बड़ा हो नहीं सकता, टूटे मन से कोई खड़ा हो नहीं सकता अपनी सोच को बड़ा व पवित्र रखो और मन को कभी कमजोर मत होने दो. हमारे भाव पवित्र होने चाहिये तथा हम प्रतिदिन प्रेम के फूल खिलायें. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को समभाव में रहते हुए सभी के प्रति सुख-शांति व सफलता की कामना करनी चाहिए. निस्वार्थ भाव से किया गया प्रेम ही ईश्वर के निकट लाता है. अपने अंर्तमन में प्रेम और शांति से भरा व्यक्ति ही आत्म साक्षात्कार करता है और ईश्वर की कृपा का अधिकारी बनता है.
हमारी खुशी न केवल हमारे लिए बल्कि दूसरों के लिए भी होनी चाहिये तभी जीवन में सही मायने में खुशी आयेगी.ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव ने कहा कि किसी पर विश्वास करने से पहले जितना शक करना है, कर लें. यदि एक बार किसी पर विश्वास कर लिया है तो बाद में कभी शक मत करना. अनर्थ हो जायेगा, पाप हो जायेगा. जीवन में मोक्ष को पाना है तो अपने कर्म को इतना अच्छा कर लो कि तुम भगवता को प्राप्त कर लो या फिर तुम्हें इस जन्म में भगवान मिल जाएं.
ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव ने कहा कि महापुरूषों की वाणी लोगो को प्रभावित नहीं, प्रकाशित करती है. महान व्यक्तियों की वाणी के साथ उनका जीवन भी बोलता है. उन्होंने कहा कि आदर्श हमारे जीवन और आचरण में होना चाहिए समर्पण है तो भगवान भी भक्त की अवश्य सुनते है. इस अवसर पर श्री ब्रह्मर्षि आश्रम, तिरुपति की ओर से सेवा, समर्पण और भक्ति की मिशाल बने गुरु भक्तों को सम्मानित किया गया. सर्वप्रथम प्रतिष्ठित एकलव्य पुरस्कार बेंगलुरु के रमेश सांखला व नवीन गिड़िया को प्रदान किया गया. इसके साथ ही जयपुर की शीतल शर्मा तथा शिल्पा श्यामसुखा को भी एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.ब्रह्मर्षि श्री गुरुदेव ने इस अवसर पर कहा कि पुरस्कृत लोगों से यह प्रेरणा लेनी चाहिये की आने वाले समय में हम भी इतना अच्छा कार्य करेंगे की जिससे हम भी इस पुरस्कार को पाने के हकदार बने. भक्त शिरोमणि दम्पति का पुरस्कार दिल्ली के सुधीर गोयल व परिवार को मिला. भक्त शिरोमणि के रूप में उम्मेद सिंघी को भी सम्मानित किया गया. इससे पूर्व अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय चेयरपर्सन युवा नवीन गिड़िया, रमेश सांखला, इंदु राठौड़, सरला बोथरा सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे.