राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने रविवार को मारवाड़ी सम्मेलन शिक्षा कोष के 30वें शिक्षा दान कार्यक्रम में ये बातें कहीं. उन्होंने बंग भूमि को ज्ञान की भूमि बताते हुए यहां के लोगों की ज्ञान पिपासा को बेमिसाल कहा. उन्होंने कहा कि इसी महानगर ने शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया है. पहला विश्वविद्यालय देने वाले बंगाल ने ऐसे दर्जनों स्नातक दिये, जिस पर पूरे देश को गर्व है. साथ ही उन्होंने शिक्षा दान में आहूति देने के लिए बंगीय मारवाड़ी सम्मेलन को धन्यवाद दिया.
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निरक्षरता देश के लिए अभिशाप
कोलकाता. देश के विकास में निरक्षरता एक अभिशाप है. शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है. इस सामाजिक दायित्व को वहन करने में निजी क्षेत्र को भी सरकार के साथ आगे आने की जरूरत है. पूरे देश में दो करोड़ से ज्यादा छात्र आर्थिक बदहाली की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं. राज्यपाल […]
कोलकाता. देश के विकास में निरक्षरता एक अभिशाप है. शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है. इस सामाजिक दायित्व को वहन करने में निजी क्षेत्र को भी सरकार के साथ आगे आने की जरूरत है. पूरे देश में दो करोड़ से ज्यादा छात्र आर्थिक बदहाली की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
कार्यक्रम के दूसरे विशिष्ट अतिथि पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने भी अपने वक्तव्य की शुरुआत महामहिम की प्रशंसा के साथ की. साथ ही उन्होंने मारवाड़ी समाज के शिक्षा दान कार्यक्रम के प्रति कृतज्ञता जाहिर की. इसके आयोजकों को धन्यवाद दिया. इस अवसर पर मारवाड़ी सम्मेलन ने फादर्स डे के अवसर पर महामहिम को पितातुल्य अभिभावक बताते हुए पीले गुलाब की भेंट दी.
गौरतलब है कि इस संस्था की स्थापना अर्जुन दास अग्रवाल व मामराज अग्रवाल ने की थी. पश्चिम बंगीय मारवाड़ी सम्मेलन शिक्षा कोष अनवरत 30 सालों से अब तक 13 हजार से अधिक छात्रों को आर्थिक मदद प्रदान कर चुका है. इस साल भी राज्य के कुल 111 विद्यालयों के 1465 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गयी. प्रत्येक विद्यालय से मेधावी व आर्थिक रूप से कमजोर छात्र को यह राशि संस्था की चयन समिति की अनुशंसा पर दी जाती है. पिछले वर्ष की अपेक्षा संस्था ने 235 फीसदी अधिक छात्रों को यह राशि प्रदान की है.
कार्यक्रम के अवसर पर मंच संचालन समाजसेवी महावीर प्रसाद रावत ने किया. मंचासीन अन्य प्रमुख व्यक्तियों में उद्योगपति व समाजसेवी सज्जन बंसल, अशोक तोदी, श्याम सुंदर अग्रवाल, महेंद्र चौधरी, संस्था के अध्यक्ष ब्रह्मानंद अग्रवाल, सचिव कृष्णलाल बजाज शामिल थे.
कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के ट्रस्टी नारायण प्रसाद डालमिया, कृष्ण कुमार लुनियां, चित्तरंजन चौधरी, रामनिवास चोटिया, एसके जैन, कृष्ण कुमार लोहिया, मनीष बजाज, विश्वनाथ केडिया आदि प्रमुख रूप से शामिल थे.
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