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पीने का पानी व अस्पताल चुनावी मुद्दा

मटियाबुर्ज: विधानसभा क्षेत्र में 30 अप्रैल को पांचवें चरण के तहत मतदान होगा. मुसलिम बाहुल्य यह इलाका पूरी तरह से पोस्टरों और बैनरों से पटा पड़ा है, लेकिन इस विधानसभा के कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां इन पोस्टरों-बैनरों को चुनौती देते हुए पेयजल व अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर वोट बॉयकॉट के पोस्टर भी […]

मटियाबुर्ज: विधानसभा क्षेत्र में 30 अप्रैल को पांचवें चरण के तहत मतदान होगा. मुसलिम बाहुल्य यह इलाका पूरी तरह से पोस्टरों और बैनरों से पटा पड़ा है, लेकिन इस विधानसभा के कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां इन पोस्टरों-बैनरों को चुनौती देते हुए पेयजल व अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर वोट बॉयकॉट के पोस्टर भी लगे हुए हैं.
कोलकाता किसी ने कहा था कि आने वाले समय में पानी के लिए विश्व युद्ध होगा, लेकिन विश्व युद्ध तो अभी नहीं, लेकिन मटियाबुर्ज में हर दिन किसी ना किसी इलाके में पानी को लेकर गृहयुद्ध जरूर हो जाता है. कभी-कभी पानी के लिए तो लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. कुछ इसी अंदाज में मटियाबुर्ज विधानसभा इलाके का हाल-ए-दास्तान बताया अब्दुल हमीद ने. अब्दुल मटियाबुर्ज इलाके के नदियाल इलाके में रहते हैं. उनका कहना है कि वार्ड नंबर 3,10,141 और 140 में पानी की भारी किल्लत है. स्थिति यह है कि चार और पांच नंबर वार्ड के लोगों ने तो वोट नहीं देने का फैसला किया है. हालांकि कभी-कभार कॉर्पोरेशन की गाड़ी पानी लेकर इलाके में आती है, लेकिन उससे सबकी प्यास नहीं बुझ पाती.
गार्डेनरीच इलाके में रहनेवाले ऋषिकेश पाल कहते हैं कि पिछले पांच सालों में राज्य की मुख्यमंत्री ने काफी काम किया है, इलाके में पार्क, सड़कें और रोशनी की व्यवस्था की है, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था सीपीएम अमले के समान ही है. इलाके में कोई अच्छा अस्पताल नहीं है, लिहाजा लोगों को कोलकाता में स्थित एसएसकेएम पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इलाके में जो एक अस्पताल है, उसमें डॉक्टर ही नहीं मिलते. शुरुआत में यहां कोई अस्पताल नहीं था. 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने गार्डेनरीच स्टेट जनरल अस्पताल का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के बाद भी अस्पताल को तैयार होने में सात साल लग गया.
शुरुआत में कहा गया कि अस्पताल में आईसीयू, एक्सरे मशीन और 130 बेड के साथ इलाज की तमाम सुविधाएं होंगी, लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ. किसी तरह से जनता के दवाब में अस्पताल ने जैसे-तैसे ओपीडी शुरू की गयी.
उसके बाद आज तक सरकार आयी-गयी, लेकिन वायदे पूरे नहीं हुए. आज हालात ये हैं कि यहां इलाज के लिए कोई नहीं आना चाहता. मटियाबुर्ज बाजार इलाके में रहने वाले शाहनवाज खान कहते हैं कि हमने कई सरकारें देखी, लेकिन तृणमूल सरकार ने इलाके के विकास के लिए काफी काम किया है. पहले की अपेक्षा इलाके में साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था है. पहले मटियाबुर्ज इलाके की गलियों में अंधकार होता था, लेकिन आज स्थिति बदली है, अब गलियां और सड़कें लाइटों से जगमगा रही हैं.

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