हमारी सामाजिक व्यवस्था इस तरह बनी हुई है कि कई दावों के बावजूद महिलाओं के प्रति अपराध कम नहीं हो रहे हैं. बलात्कार के केवल 20 प्रतिशत मामलों में ही आरोप सिद्ध हो पाते हैं. महिलाओं के अधिकारों के लिए कई कानून बनाये गये हैं, लेकिन महिलाओं को उनकी जानकारी नहीं है. अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं का सशक्तीकरण एक बार में नहीं होनेवाला है, उन्हें सामाजिक व आर्थिक स्वनिभर्रता भी मिलनी चाहिए. महिलाओं के काम को भी समान रूप से सम्मान व पहचान देने की जरूरत है.
किसी की भी बातों में आकर अपने लक्ष्य को न भूलें. कार्यक्रम में मानव विकास विभाग की छात्राओं ने 101 साड़ियां जंगलमहल की आदिवासी महिलाओं को अनुदान स्वरूप दीं. छात्राओं के आलेखों से सजा एक बुलेटिन बोर्ड छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया. एक खाली कैनवास पर महिलाओं ने नारीत्व पर अलग-अलग विचार व्यक्त किये. कॉलेज में अपने आप वुमेंस वर्ल्ड वाइड, दिशा फाउंडेशन व अंकुर कला एनजीओ द्वारा एक प्रदर्शनी लगायी गयी. जेडी बिरला इंस्टीट्यूट की प्रिंसिपल दीपाली संघी भी कार्यक्रम में शामिल थीं.