कोलकाता : बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वामदलों और कांग्रेस के बीच गठबंधन के कयासों के बीच, ऐसा लगता है कि माकपा और अन्य वामदलों के बीच चुनावी रणनीति पर एक राय नहीं है.
राज्य में कांग्रेस नेतृत्व का एक तबका तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए वामदलों के साथ गठजोड़ करने का समर्थक है और बिहार में महागंठबंधन द्वारा भाजपा नीत राजग को हराने के बाद इस मुहिम ने और रफ्तार पकड़ी है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित वरिष्ठ नेता पश्चिम बंगाल में गंठबंधन के समर्थन में बोल चुके हैं, जबकि माकपा को इस पर अभी फैसला करना है.
माकपा के नेतृत्व के मुताबिक, पार्टी फिलहाल कोई फैसला करने की स्थिति में नहीं है. माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने यहां से कहा, ‘‘ पार्टी अगर बंगाल में कांग्रेस के साथ गंठबंधन करती है तो केरल में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ेगा, जहां पर कांग्रेस माकपा की प्रमुख विरोधी है और उस राज्य में कुछ समय में बंगाल के साथ ही चुनाव होने है.’ उन्होंने कहा कि राज्य के लोग तृणमूल को सत्ता से हटाने के लिए चाहते हैं कि हम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ गंठबंधन करें जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. जब कभी पार्टी नेतृत्व इस मसले पर कोई निर्णय लेगा तो उन्हें जनता की राय और नजरिए को ध्यान में रखना होगा.
केरल से माकपा के नेताओं ने बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन के कयासों का विरोध किया है. उनका कहना है कि यह पिछली पार्टी कांग्रेस में लीगयी आधिकारिक लाइन से उलट होगा, जिसमें कांग्रेस और भाजपा को एक ही श्रेणी में रखने को कहा गया था.
केरल से पार्टी के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने यहां कहा, ‘‘ हमने पार्टी की पिछले कांग्रेस में एक आधिकारिक लाइन अपनायी थी. इसलिए संबंधित राज्य में चुनावी रणनीति औपचारिक लाइन के विरोधाभासी नहीं हो सकती है. केरल या पश्चिम बंगाल में जो भी चुनावी रणनीति अपनाई जाती है वो, एक दूसरे राज्य में विरोधाभासी या नुकसानदायक नहीं होनी चाहिएं’ बेबी पूर्ण अधिवेशन के सिलसिले में यहां आए हुए हैं.