इतनी जल्दबाजी में और एक ही दिन में ऐसा क्यों हुआ? संभवत: ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कलकत्ता हाइकोर्ट ने मित्रा को जमानत दिये जाने के अलीपुर कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया था. करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड मामले में गिरफ्तारी के करीब एक वर्ष तक मदन मित्रा परिवहन मंत्री के पद पर ही बने रहे. पहले भी इस्तीफा दिये जाने के बाद उनके इस्तीफे को क्यों स्वीकार नहीं किया गया था? इसी बात से उनके प्रभावशाली होने का अंदाजा लगाया जा सकता है. गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने सीबीआइ की याचिका स्वीकार करते हुए मदन मित्रा की जमानत रद्द कर दी.
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मदन मामले में सत्तारूढ़ दल के रवैये पर माकपा ने उठाये सवाल
हल्दिया. मदन मित्रा के परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा और जमानत याचिका रद्द होने के मामले को लेकर माकपा के राज्य सचिव डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने सत्तारूढ़ दल के रवैये पर कई सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि विगत बुधवार को मदन मित्रा ने इस्तीफा दिया था जिसे कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी […]
हल्दिया. मदन मित्रा के परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा और जमानत याचिका रद्द होने के मामले को लेकर माकपा के राज्य सचिव डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने सत्तारूढ़ दल के रवैये पर कई सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि विगत बुधवार को मदन मित्रा ने इस्तीफा दिया था जिसे कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वीकार भी कर लिया था.
सारधा कांड मामले में हजारों-हजारों लोगों से धोखाधड़ी हुई है. जब तक पीड़ितों को उनके रुपये वापस नहीं मिलते तब तक वामपंथियों का आंदोलन जारी रहेगा. मिश्रा पूर्व मेदिनीपुर के पटाशपुर में बंगाल प्लेटफार्म ऑफ मास ऑर्गेनाइजेशन (बीपीएमओ) की रैली में शामिल हुए थे. पटाशपुर के अलावा बीपीएमओ की रैली जिले के कई इलाकों में भी निकाली गयी थी.
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