बालुरघाट/कोलकाता. राज्य के अस्पतालों में चिकित्सकीय लापरवाही के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि एक शिशु की पट्टी उतारने की कोशिश के दौरान बच्ची का अंगूठा काटने वाली नर्स को उसकी सेवा से हटा देना चाहिए. बालुरघाट के एक सरकारी अस्पताल में आठ दिन के एक शिशु की पट्टी हटाने के दौरान एक नर्स द्वारा उसका अंगूठा काटे जाने की घटना के एक दिन बाद बनर्जी का यह बयान सामने आया.
सुश्री बनर्जी ने कहा: इस तरह की चिकित्सकीय लापरवाही को बरदाश्त नहीं किया जाना चाहिए. उन्हें (नर्स को) निलंबित कर दिया गया है लेकिन मैं महसूस करती हूं कि उन्हें तत्काल सेवा से बरखास्त कर देना चाहिए. उन्हंे काम करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल लापरवाही नहीं है बल्कि यह अपराध है. आप अपने मरीजों की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं.’ शिशु को अस्पताल के रुग्ण एवं नवजात देखभाल इकाई में भरती किया गया था जो छह जुलाई से डायरिया से पीड़ित था और सेलाइन चढ़ाने के लिए उसकी बायीं हथेली पर पट्टी बांधी गयी थी. शिशु की स्थिति में सुधार देखकर रविवार की रात उसकी पट्टी हटायी जानी थी तभी नर्स ने कथित रुप से पट्टी के साथ बच्चे का अंगुठा भी काट दिया और उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य सुकुमार डे ने बताया कि उन्होंने मामले में जांच के आदेश दिए हैं और आरोपी नर्स को पांच दिन की छुट्टी पर भेज दिया गया है.
शिशु के पिता ने घटना को लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी है. उधर, पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी नर्स राखी सरकार से पूछताछ की गयी है. अभी उसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस अधिकारी कुछ भी नहीं कह रहे हैं. हालांकि नर्स राखी सरकार ने अपनी गलती मानी है और शिशु के परिवारवालों से माफी की मांग की है. परिवारवाले नर्स को माफी देने को तैयार नहीं हैं. परिवारवालों ने आरोपी नर्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए राज्य सरकार से बच्ची के भरण-पोषण की भी मांग की है.
जानकारी के अनुसार, पीड़ित बच्ची को बेहतर चिकित्सा के लिए कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोलकाता जाने के लिए परिवारवालों को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गयी है.
बच्ची के परिवार वालों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में चिकित्सा कराने में उनके पसीन छूट गये.उन्होंने कहा कि अंगुली कटने की घटना के बाद नवजात बच्ची की हालत नाजुक हो गयी थी. उसकी अंगुली की प्लास्टिक सजर्री के लिए रविवार रात को ही उसे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया था. लेकिन वहां से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बच्ची को कोलकाता ले जाने के लिए कहा. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज से बच्ची को कोलकाता रेफर कर दिये जाने की घटना के बारे में अस्पताल अधीक्षक तपन विश्वास का कहना है कि मालदा मेडिकल कॉलेज में बालुरघाट जिला अस्पताल से अच्छी बुनियादी व्प्यवस्था है, फिर भी मेडिकल कॉलेज ने बच्ची को क्यों लौटा दिया, समझ में नहीं आ रहा है. दूसरी ओर, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक निर्मल बेरा ने बताया कि बच्ची को प्राथमिक इलाज के बाद प्लास्टिक सजर्री के लिए कोलकाता रेफर किया गया. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक सजर्री की उचित व्यवस्था उनके पास मौजूद नहीं है. इधर, बच्ची को फिर से बालुरघाट अस्पताल लाया गया. इधर-उधर करने के चक्कर में बच्ची की हालत और गंभीर हो गयी. परिवारवाले भी परेशान हो गये. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ चिकित्सा में लापरवाही के साथ ही उन्हें हैरान-परेशान करने का आरोप लगाया.
शिशु को एसएसकेएम लाने का निर्देश
मुख्यमंत्री ने शिशु को एसएसकेएम अस्पताल लाने का निर्देश दिया है . मुख्यमंत्री का निर्देश मिलते ही जिला प्रशासन द्वार शिशु को परिवार सहित स्पेशल एंबुलेंस से कोलकाता लाया जा रहा है. एसएसकेएम में विशेषज्ञ चिकित्सक इलाज करेंगे.
डायरिया के कारण बच्ची भरती हुई थी
उल्लेखनीय है कि तीन जुलाई को बालुरघाट थानांतर्गत दाशुल निवासी मामणि मंडल ने बालुरघाट जिला अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया था. अस्पताल से मां व बच्ची को पांच तारीख को छुट्टी दे दी गयी. बाद में बच्ची को डायरिया होने पर उसे फिर से बालुरघाट अस्पताल में भरती कराया गया. मामणि मंडल ने बताया कि नर्स ने सलाइन का चैनल काटते वक्त बच्ची की अंगुली काट दी और कचरे में फेंक दिया.