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3जी के नाम पर उपभोक्ताओं के साथ धोखा कर रही है वोडाफोन

कोलकाता: वर्ष 2014 में सामान्य रूप से कहा जा रहा था कि इंटरनेट सेवा प्रदान करने में वोडाफोन बेहतर कंपनी है. सभी नेटवर्किग कंपनियां 3जी सर्विस के लिए वोडाफोन से ही नेटवर्क ले रही थीं. इसलिए लोग अन्य नेटवर्किग सेवाओं को छोड़ कर वोडाफोन की ओर रुख कर रहे थे, लेकिन लोगों का यह भ्रम […]

कोलकाता: वर्ष 2014 में सामान्य रूप से कहा जा रहा था कि इंटरनेट सेवा प्रदान करने में वोडाफोन बेहतर कंपनी है. सभी नेटवर्किग कंपनियां 3जी सर्विस के लिए वोडाफोन से ही नेटवर्क ले रही थीं. इसलिए लोग अन्य नेटवर्किग सेवाओं को छोड़ कर वोडाफोन की ओर रुख कर रहे थे, लेकिन लोगों का यह भ्रम बहुत जल्द ही टूट गया. क्योंकि वोडाफोन ने अपने उपभोक्ताओं के साथ धोखा करना शुरू कर दिया.

प्रभात खबर के स्थानीय संपादक तारकेश्वर मिश्र का भी वोडाफोन कंपनी के साथ काफी बुरा अनुभव रहा है. गौरतलब है कि उन्होंने एयरटेल के नंबर को पोर्टब्लिटी कराते हुए वोडाफोन का पोस्ट पेड कनेक्शन लिया. कंपनी की ओर से बताया गया कि तीन महीने तक उन्हें इस सेवा का उपयोग करना ही होगा. उन्होंने वोडाफोन का 3जी स्पीडवाला कनेक्शन लिया, जिसका मासिक प्लान 500-600 रुपये के बीच का था और उन्हें 2 जीबी डाटा यूज करने की छूट थी. उन्होंने 3जी स्पीडवाला कनेक्शन तो ले लिया, लेकिन इस स्पीड की इंटरनेट सेवा उन्हें नहीं मिली. इसके तीन महीने बाद उन्होंने इसे बंद करने का आवेदन किया और इस सिम को सामान्य वोडाफोन नंबर में तब्दील करने का आवेदन किया और 149 रुपये का मासिक प्लान लिया, जिससे वह इसका प्रयोग बात करने में कर सकें. उन्होंने इसके लिए लिखित आवेदन भी किया, लेकिन वोडाफोन ने इस नंबर को परिवर्तित करने के संबंध में सूचना नहीं दी और ना ही इस नंबर से कोई कॉल ही किया गया.

इस नंबर से इस दौरान करीब 400 एमबी डाटा यूज हुआ और उसके बाद वोडाफोन ने 2370 रुपये का बिल भेज दिया. अब अगर नंबर सामान्य सिम में परिवर्तित हुआ होता, तो उससे कॉल किया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अगर पुराने प्लान के हिसाब से ही अगर डाटा यूज किया गया है, तो 500-600 रुपये में 2 जीबी यूज करने की छूट है, तो इतना बिल क्यों आया, इसका जवाब वोडाफोन का कोई अधिकारी नहीं दे पाया. इसके बाद वोडाफोन के यूएन ब्रह्नाचारी स्ट्रीट में जाकर उनके प्रबंधक से बात हुई और उन्होंने इस मामले का सेटलमेंट करने के लिए एक हजार रुपये चुकाने को कहा, जिसके अनुसार एक हजार रुपये उनके प्रतिनिधि आकर ले भी गये, लेकिन फिर बाद में कंपनी की ओर से कोर्ट नोटिस भेज दिया गया है और राशि चुकाने को कंपनी बोल रही है. इस प्रकार कंपनी द्वारा कई लोगों को भी परेशान किया जा रहा है. इस संबंध में वोडाफोन के प्रबंधक जयदीप दासगुप्ता ने कहा है कि इसके लिए वोडाफोन जिम्मेदार नहीं है. बिल का भुगतान करते वक्त सेटलमेंट लेटर लेना चाहिए था.

अपना अनुभव बताते हुए एचएचआइ होटल के पूर्व महाप्रबंधक व वर्तमान में वहां के सलाहकार दीपक बहल ने कहा कि वोडाफोन कंपनी से वह भी काफी खफा हैं. क्योंकि उन्होंने उसका 3जी कनेक्शन लिया है, लेकिन इंटरनेट की स्पीड 2जी की भी नहीं है. जब भी कंपनी में फोन किया जाता है, तो वहां से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं होती. उन्होंने 3जी का 5 जीबी डाटा यूज करने का प्लान लिया था, लेकिन कंपनीवालों ने उनसे 5 जीबी के साथ-साथ और 3 जीबी का डाटा प्लान दे दिया और उसके लिए अलग से 500 रुपये भी ले लिये, लेकिन 3जी स्पीड अभी तक नहीं मिली. उन्होंने अपने अनुभव को सोशल नेटवर्किग साइट पर भी जारी किया था, इसके बाद कंपनी थोड़ा सक्रिय हुई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. इसी प्रकार, सिद्धायन बनर्जी का तो यहां तक कहना है कि वह जीवन में कभी भी वोडाफोन पर विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि उनका भी बहुत बुरा अनुभव रहा है. उन्होंने कहा है कि वोडाफोन कंपनी को इस पर शर्म आनी चाहिए.

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