कोलकाता: लेखक-राजनीतिज्ञ शशि थरूर यूं तो मोदी सरकार के आलोचक हैं, लेकिन कहते हैं कि पिछले साल के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जबरदस्त जीत ने उन्हें भारत पर अपनी तीन किताबों की श्रृंखला में आखिरी किताब लिखने के लिए प्रेरित किया. थरूर ने कहा कि चुनाव के बाद इसने (किताब का विचार) मेरे दिमाग में आकार ग्रहण किया. अगर सरकार में ज्यादा धारावाहिकता होती, तो शायद मुङो इन तीन किताबों की श्रंखला को पूरा करने के लिए 70वीं या 75वीं वर्षगांठ का इंतजार करना पड़ता. लेकिन यह वह क्षण प्रतीत होता है जिसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता की नवीनतम किताब ‘ इंडिया शास्त्र: रिफ्लेक्शन्स आन द नेशन इन आवर टाइम ’ शुक्रवार को एपीजे कोलकाता लिटररी फेस्टिवल में जारी होगी. यह संक्रमण से गुजर रहे समकालीन भारत का एक शब्दचित्र है.
संयुक्त राष्ट्र में वरिष्ठ राजनयिक रहे और 2009 में कांग्रेस में शामिल हो कर सियासत का रास्ता अपनाने वाले थरूर ने कहा कि तीनों में से प्रत्येक एक मोड़ को रेखांकित करती है :‘मिडनाइट टू द मिलेनियम’ आजादी की 50वीं सालगिरह के साथ, ‘एलिफेंट टाइगर’ 60वीं सालगिरह के साथ और अब 2014 में देश का ‘मोदी-फिकेशन.
उन्होंने कहा कि किताब के बस दो ही अध्याय मोदी सरकार के बारे में हैं, जबकि बाकी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विकास और राष्ट्रीय चुनौतियों के बारे में व्यापक रुख जताते हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि मैंने राष्ट्रीय हितों पर अपने विचार के साथ सुसंगत कुछ सकारात्मक भाषा, कुछ निरपवाद स्कीमों और मुट्ठी भर नीतियों को बस मान्यता दी है.
मैंने ढेर सारी चीजें ऐसी पायीं, जिनपर मेरी जबरदस्त आलोचना है. यह किताब उसे पूरी तरह दिखाती है. थरूर से जब पूछा गया कि क्या मौजूदा सरकार परिवर्तन लाने के अपने विचार को कार्यान्वित करने में सुस्त है, तो उन्होंने कहां कि हां, अगर आप किसी वादे को पूरा होते और सुधार को लागू होते देखें, तो मुङो बतायें क्योंकि मैंने अभी तक एक भी नहीं देखा.
कांग्रेस नेता से जब पूछा गया कि उनके लिए यह सुनिश्चित करना कितना कठिन हुआ कि उनकी किताब राजनीतिक पूर्वग्रहों से मुक्त हो तो उन्होंने कहा कि वह बहुत लंबे समय से, कांग्रेस में शामिल होने से पहले से लिख रहे हैं.
साहित्य जगत में अपने योगदान के लिए कॉमनवेल्थ राइटर्स प्राइज से सम्मानित थरूर ने कहा कि और मैं उम्मीद करता हूं कि मेरे पाठक महसूस करेंगे कि मेरे पास कहने के लिए चीजें हैं, जो एक विपक्षी सांसद के रूप में मेरी भूमिका से बहुत आगे जाता है. पूर्व विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि विदेशी नीति एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमारे राजनीतिक मतभेद रुक जाते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी की विदेश नीति में हमारी नीतियों के अनुरूप ढेर सारी धारावाहिकता दिखती है, जैसा मैंने अपनी किताब में दिखाया है. अकसर गैर मौजूदगी के लिए उनकी चुटकियां लेना सामान्य विपक्षी राजनीति का एक हिस्सा है, लेकिन यह ज्यादा अहम है कि उनकी विदेश यात्र हमारे राष्ट्र के उद्देश्यों को कितना पूरा करती हैं. यहां निर्णय करना बाकी है. श्री थरूर ने कहा कि अगर यात्रएं भारत के लिए या भारतीयों के लिए किसी स्पष्ट लाभ से असंबंधित खुद ही एक लक्ष्य बन जायें, तब हमें शिकायत करने का अधिकार होगा. उल्लेखनीय है कि थरूर की अंतिम किताब ‘पैक्स इंडिका’ भारत के अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर आधारित है.