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कोयला उद्योग में हड़ताल
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कोल इंडिया में की है हड़ताल कोलकाता/आसनसोल/ धनबाद/रांची: कोल इंडिया में हड़ताल के पहले दिन देश की करीब सभी कोल कंपनियों में उत्पादन प्रभावित रहा. अधिकतर कंपनियों में कोयले का डिस्पैच पूरी तरह ठप रहा. इसीएल प्रबंधन ने हड़ताल को आंशिक बताया, जबकि विभिन्न यूनियनों ने इसे पूरी तरह से सफल […]
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कोल इंडिया में की है हड़ताल
कोलकाता/आसनसोल/ धनबाद/रांची: कोल इंडिया में हड़ताल के पहले दिन देश की करीब सभी कोल कंपनियों में उत्पादन प्रभावित रहा. अधिकतर कंपनियों में कोयले का डिस्पैच पूरी तरह ठप रहा. इसीएल प्रबंधन ने हड़ताल को आंशिक बताया, जबकि विभिन्न यूनियनों ने इसे पूरी तरह से सफल होने का दावा किया. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल की कोलियरियों में भी इसका व्यापक असर देखा गया. इन कोलियरियों में डिस्पैच के साथ-साथ कोयले का उत्पादन भी प्रभावित रहा. कोल इंडिया के नव नियुक्त अध्यक्ष के अनुसार, हड़ताल के पहले दिन करीब 15 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा. कोयला श्रमिकों ने मंगलवार से अपनी मांगों को लेकर पांच दिन की हड़ताल शुरू की.
उधर, हड़ताल को समाप्त करने के लिए सरकारी अधिकारियों और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत देर रात विफल हो गयी. सरकारी अधिकारियों ने श्रमिक यूनियन प्रतिनिधियों के साथ कई घंटे विचार-विमर्श किया लेकिन वे उन्हें हड़ताल समाप्त करने के लिए नहीं मना पाये. हड़ताल से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया की 60 प्रतिशत से अधिक इकाइयों में कोयला उत्पादन ठप हो गया जिससे बिजलीघरों को कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
मंगलवार सुबह से ही कोलकाता स्थित कोल इंडिया मुख्यालय के सामने श्रमिक व कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. हड़ताल का आह्वान कोल इंडिया के पांच केंद्रीय संगठनों ने किया है, जिनमें भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल है. अखिल भारतीय कोयला मजदूर संघ के नेता जीवन राय ने कहा कि करीब सात लाख श्रमिक इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. अगर केंद्र सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो उनका यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. भारतीय राष्ट्रीय खनन मजदूर संघ (आइएनएमएफ) के महासचिव एस क्यू जामा ने कहा कि देश भर के श्रमिक हड़ताल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह हड़ताल मंगलवार की सुबह छह बजे पहली पाली में शुरू हुई. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया (सीआइएल) के लगभग सभी श्रमिक इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं. सिर्फ मुट्ठी भर आपात सेवाएं ही काम कर रही रही हैं. जामा के मुताबिक, एससीसीएल (सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड) के करीब 70-80 प्रतिशत श्रमिक भी हड़ताल पर हैं.
कोल इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल श्रमिक कोलकाता में सीआइएल के मुख्यालय के बाहर धरने पर हैं. यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है जब देश भर के बिजली संयंत्र ईंधन संकट से जूझ रहे हैं. कोल इंडिया लिमिटेड ने इससे पहले कहा था कि उसने बिजली संयंत्रों को पहले से आपूर्ति बढ़ा दी है ताकि संभावित हड़ताल के कारण आपूर्ति में बाधा से उपजी दिक्कतों से उबरा जा सके. उन्होंने कहा था कि कोल इंडिया लिमिटेड बिजली संयंत्रों को अतिरिक्त कोयले की आपूर्ति कर रही है और रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम का पूरा सहयोग कर रही है. घरेलू कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का योगदान 80 प्रतिशत से अधिक है और उसके कर्मचारियों की संख्या करीब तीन लाख है. कोयला मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पिछले सप्ताह बुलायी गयी बैठक का कोल इंडिया के प्रमुख मजदूर संगठनों ने बहिष्कार किया था. इस बीच बिजली क्षेत्र के कर्मचारी संगठन इइएफआइ ने भी हड़ताल का समर्थन किया है.
क्यों है हड़ताल
कोल इंडिया के मजदूर यूनियन कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) ऑर्डिनेंस-14 का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ-साथ कोल इंडिया में विनिवेश, कोल इंडिया के राष्ट्रीयकरण के साथ छेड़छाड़ का विरोध, कोल इंडिया को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी के विरोध में आंदोलन पर उतरे हुए हैं.
सुलझ जायेगा मामला : चेयरमैन
कोल इंडिया अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने कहा : उम्मीद है कि समस्या सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से सुलझा ली जायेगी. हड़ताल के असर का ठीक-ठीक पता बाद में चलेगा. यह सही है कि उत्पादन अंतिम तिमाही में जोर पकड़ता है, क्योंकि वित्तीय वर्ष खत्म होने को होता है. मजदूर संगठनों की हड़ताल दुर्भाग्यपूर्ण है. मजदूर संगठनों ने इससे पहले दो बार बैठक का बहिष्कार किया है.
चेयरमैन ने कहा कि कोल इंडिया में हड़ताल होने से रोजाना कम से कम 15 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित होगा. इससे बिजली संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है, जो पहले से ही ईंधन संकट से जूझ रहे हैं.
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