कोलकाता / नयी दिल्ली: सारधा चिटफंड घोटाले के बाद भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) देश की अन्य कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की. जांच के बाद करीब 117 कंपनियों के नाम सामने आये, जिन लोगों ने अवैध तरीके से लोगों से रुपया वसूला था. इन 117 कंपनियों में से 49 बंगाल की हैं और बंगाल की कंपनियों ने ही सबसे अधिक कारोबार दिया है.
क्योंकि सेबी ने सभी 117 कंपनियों को लोगों द्वारा वसूले गये 60 हजार करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया है, जबकि बंगाल की 49 कंपनियों ने ही लोगों से इस कुल राशि का करीब 86 प्रतिशत अर्थात 52,035 करोड़ रुपये उगाहे हैं. इन इकाइयों के खिलाफ नये साल में सेबी का अभियान और तेजी से आगे बढ़ेगा. इन मामलों में सेबी को ज्यादातर इन कंपनियों द्वारा कोष के खुलासे पर निर्भर रहना पड़ा. ऐसे में माना जा रहा है कि इन इकाइयों द्वारा अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआइएस) व गैरकानूनी डीम्ड सार्वजनिक निर्गमों के जरिये जुटायी गयी राशि कहीं ऊंची हो सकती है. सेबी की कार्रवाई को अदालत में चुनौती दिये जाने के मामलों को जोड़ कर कुल राशि एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है.
सेबी ने इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई सेबी कानून में संशोधन के बाद की है. इसके अलावा अन्य कानूनों के जरिये पूंजी बाजार नियामक को पोंजी योजनाओं के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिला है. सेबी द्वारा 2014 में पारित आदेशों के विेषण से पता चलता है कि नियामक ने 117 ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की. इनमें से ज्यादातर कंपनियों पश्चिम बंगाल की थीं. जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी, उनमें से 49 पश्चिम बंगाल की थीं. इनमें से 43 कंपनियां तक अकेले कोलकाता में पंजीकृत हैं. इन कंपनियों द्वारा जुटायी गयी 59,663.66 करोड़ रुपये की राशि में से 86 प्रतिशत यानी 52,035.48 करोड़ रुपये की राशि पश्चिम बंगाल की इकाइयों द्वारा जुटायी गयी.
बंगाल की कुल प्रमुख कंपनियों में रोज वैली कंस्ट्रक्शंस, रामेल इंडस्ट्रीज तथा एनवीडी सोलर लिमिटेड शामिल हैं. संशोधित प्रतिभूति कानून के तहत सेबी को संपत्ति को कुर्क करने, रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने, मामलों की जांच के लिए कॉल रिकार्ड मांगने, धोखाधड़ी करनेवालों के खिलाफ छापेमारी व जब्ती का अधिकार दिया गया. वर्ष 2014 सेबी ने कुल 117 आदेश पारित किये. इनमें से कम से कम 70 ऐसी कंपनियों के खिलाफ थे, जिन्होंने प्रतिभूतियां मसलन डिबेंचर व तरजीही शेयर जारी कर जनता से धन जुटाया. सामूहिक निवेश योजनाओं के मामले में नियामक ने कम से कम 47 कंपनियों के खिलाफ आदेश पारित किया. अकेले पीएसीएल ने 50,000 करोड़ रुपये का धन अवैध तरीके से जुटाया. यह सेबी द्वारा की गयी कार्रवाई में सबसे बड़ा मामला था.