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इंदौर में बंगाली समुदाय के ”जमाई बाबू” हैं विजयवर्गीय, ढाक की ताल पर धुनुची नृत्य है पसंदीदा

अजय विद्यार्थी कोलकाता : विरोधी दल भले भी भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को बंगाल के बाहर का खिताब देता रहा हो, लेकिन अपने गृह शहर इंदौर में बंगाली समुदाय के लिए श्री विजयवर्गीय ‘जमाई बाबू’ हैं और बंगाली समुदाय द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में पूरे जोश-खरोश से शामिल […]

अजय विद्यार्थी

कोलकाता : विरोधी दल भले भी भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को बंगाल के बाहर का खिताब देता रहा हो, लेकिन अपने गृह शहर इंदौर में बंगाली समुदाय के लिए श्री विजयवर्गीय ‘जमाई बाबू’ हैं और बंगाली समुदाय द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में पूरे जोश-खरोश से शामिल होते हैं.

बंगाल भाजपा के केंद्रीय प्रभारी बनाये जाने के बाद विजयवर्गीय चाहे देश या विदेश के किसी भी हिस्से में हों. बंगाल की राजनीति और बंगाल के घटनाक्रम पर उनकी निगाहें टिकी रहती हैं और वे बंगाल के भाजपा नेताओं के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं. विजयादशमी तक वह इंदौर में ही दुर्गा पूजा व्यतीत करेंगे.

विजयवर्गीय ने प्रभात खबर को बताया- मुझे इंदौर का बंगाली समुदाय ‘जमाई बाबू’ से पुकारता है. इंदौर की कालीबाड़ी में आयोजित दुर्गा पूजा में वह महाष्टमी और महानवमी को अवश्य ही जाता हूं और मां को पुष्पांजलि अर्पित करता हूं.

वह बताते हैं- मेरी पत्नी कोलकाता की हैं. उनका मायका खिदिरपुर इलाके में हैं. इसी कारण इंदौर का बंगाली समुदाय मुझे ‘जमाई बाबू’ पुकारता है. उन्होंने कहा- जब वह मेयर थे, तो रास्ते का नाम काली बाड़ी रखा था. मां काली की एक मंदिर भी बनवायी है.

इंदौर में बंगाली समुदाय की सात से ज्यादा बड़ी-बड़ी पूजा होती हैं. वहां बंगाली क्लब में सबसे बड़ी पूजा होती है. बंगाली चौराहा और काली बाड़ी मंदिर की पूजा भी काफी लोकप्रिय है. वह बताते हैं कि इंदौर की संस्कृति महानगरीय संस्कृति है.

यहां दुर्गा पूजा भी होती है, तो नवरात्रि और गरबे भी. मैं नवरात्रि में खुद भजन गाता हूं. लगभग पांच हजार बच्चियां गरबे करती हैं. यहां गुजरात, बंगाल, मालवा, राजस्थान सभी की संस्कृति दिखाती है. काली बाड़ी की बंगाल की दुर्गा पूजा, वल्लभनगर में गुजरात का गरबा देखने मिलता है.

वह बताते हैं- हर वर्ग का व्यक्ति यहां दुर्गा पूजा में भाग लेता है. गरीब से लेकर अमीर तक गरीब अपने तरह से नवरात्रि मनाता है. गरीब का बच्चा एक ड्रेस में नौ दिन गरबा करता है, तो अमीर का बच्चा नौ दिन में नौ ड्रेस पहनकर गरबा करता है.

उन्होंने कहा – मैं पहली बार काली बाड़ी दुर्गा पूजा में शामिल होने गया था. पहली बार ढाक की ताल पर धुनुकी नाच करते देखा. नाच देखकर अभिभूत हो गया था. उसके बाद पहली बार किया था, तो बहुत आनंद आया था. अब जब भी अवसर मिलता है, तो अवश्य ही धुनुची से आरती करता हूं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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