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छिन सकता है तृणमूल व माकपा से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

कोलकाता : चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और राज्य में 34 वर्षों तक शासन कर चुकी माकपा की राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मिली स्वीकृति खत्म करने की तैयारी में जुट गया है. चुनाव आयोग सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन दोनों पार्टियों ने राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकृति […]

कोलकाता : चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और राज्य में 34 वर्षों तक शासन कर चुकी माकपा की राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मिली स्वीकृति खत्म करने की तैयारी में जुट गया है. चुनाव आयोग सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन दोनों पार्टियों ने राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकृति बनाये रखने की मौजूदा शर्तों को पूरा नहीं किया है.

चुनाव आयोग सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन पार्टियों के प्रमुखों को जल्द ही नोटिस भेजकर पूछा जायेगा कि आखिर इनका राष्ट्रीय पार्टी का तमगा क्यों नहीं खत्म किया जाये? सिर्फ माकपा और तृणमूल ही नहीं, महाराष्ट्र की एनसीपी भी इस कतार में शामिल है.

मौजूदा नियमों के अनुसार राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकृति रखने के लिए कम से कम चार राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट मिलना चाहिए. लोकसभा में मौजूदा कुल सीटों का कम से कम 2 प्रतिशत अर्थात 9 सीटें जीती हुई होनी चाहिए. ये सीटें भी एक राज्य में सीमित ना हो कर कम से कम तीन राज्यों में जीती होना आवश्यक है. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल इन शर्तों को पूरा नहीं कर रही है.
पार्टी ने लोकसभा में 22 सीटें जीती जरूर हैं, लेकिन वह केवल पश्चिम बंगाल में सीमित है. किसी भी अन्य राज्य में तृणमूल कांग्रेस को 6% वोट नहीं मिले हैं. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग खत्म कर सकता है.
यही स्थिति माकपा की भी है. पार्टी ने सिर्फ तमिलनाडु में दो सीटें जीती हैं. केरल में माकपा की सरकार होने के बावजूद वहां लोकसभा में एक भी सीट जीतने में पार्टी नाकाम रही है. अन्य राज्यों में भी पार्टी को लोकसभा अथवा विधानसभा में छह प्रतिशत वोट नहीं मिले हैं.
पश्चिम बंगाल में तो 42 में से 41 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो चुकी है. ऐसे में माकपा की भी राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकार्यता खत्म करने की तैयारी चुनाव आयोग कर रहा है. इसी तरह से शरद पवार की पार्टी एनसीपी भी महाराष्ट्र में सीमित हो गयी है. वहां केवल पांच सीटों पर जीत दर्ज कर सकी है. ऐसे में इन तीनों पार्टियों को जल्द ही चुनाव आयोग की ओर से पत्र भेजा जायेगा, जिसमें यह पूछा जायेगा कि राष्ट्रीय पार्टी का तमगा क्यों नहीं खत्म किया जाए?
वैसे तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि उन्हें चुनाव आयोग की इस चिट्ठी को लेकर कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस लंबे समय से चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग कर रही है. चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है. ऐसे में उनके नोटिस अथवा कार्रवाई का कोई औचित्य नहीं बनता. चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से बुधवार को इस बात की पुष्टि की गयी है कि अगस्त महीने तक इन तीनों ही पार्टियों को इस तरह का नोटिस दिया जा सकता है.

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