कोलकाता : बच्चों में बढ़ता पैरेंटल एलीगेशन सिंड्रोम (पीएएस) एक खतरनाक बिमारी के रूप में उभर रहा है. आजकल जहां आये दिन समाज में हिंसा बढ़ रही है, वंही बच्चों में यह हिंसा ज्यादा देखने को मिल रही है.
16 से 20 प्रतिशत बच्चे पीएएस का शिकार हैं जिसका कारण माता-पिता का अलगाव है. 1.36 मिलियन माता-पिता तलाक लेकर अलग हुए हैं. वहीं इसकी तिगुनी संख्या बिना तलाक लिये रहने वाले अभिभावकों की है. ये बातें डॉ अदरीजा रहमान मुखर्जी ने सोमवार को प्रेस क्लब में फादर्स डे के उपलक्ष्य में ‘आयुष्मान इंनिसिएटिव इंस्योरिंग चाइल्ड राइट’ संस्था द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं.
उन्होंने कहा कि स्त्री-पुरुष का तलाक हो सकता है, लेकिन माता-पिता का नहीं. आयुष्मान इंनिसिएटिव के सचिव अरिजीत मित्रा ने कहा कि उनकी संस्था ज्यादा पुरानी नहीं है, लेकिन वह संस्था के माध्यम से बच्चों की समस्या पर काम करके सरकार के कार्यों में मदद करने में प्रयासरत हैं. उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से वह पीआइएल लेटर, कलकाता हाईकोर्ट में पेश करेंगे. उन्होंने बताया कि चाइल्ड एब्यूज, चाइल्ड ट्रैफिकिंग व पैरेंटल एलीगेशन को लेकर इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से बातचीत करेंगे.