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कोलकाता : अब 65 वर्ष तक सेवा दे सकेंगे कॉलेज शिक्षक
कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री ने की घोषणा कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) के दीक्षांत समारोह के दौरान कहा कि कॉलेज के शिक्षक अब 65 वर्ष की आयु तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे. राज्य सरकार ने कॉलेज शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा बढ़ा कर 62 वर्ष की […]
कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री ने की घोषणा
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) के दीक्षांत समारोह के दौरान कहा कि कॉलेज के शिक्षक अब 65 वर्ष की आयु तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे. राज्य सरकार ने कॉलेज शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा बढ़ा कर 62 वर्ष की थी. अब इसे 65 वर्ष कर दिया जायेगा. सिर्फ, यही नहीं, यूनिवर्सिटी के कुलपति के रिटायर होने की उम्र सीमा भी 65 वर्ष से बढ़ कर 70 वर्ष होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे छात्रों को वरिष्ठ शिक्षकों के अनुभव का लाभ मिलेगा. अब लोगों की औसत आयु 85 वर्ष हो गयी है और 60 वर्ष में रिटायर होने के बाद शिक्षकों के पास कोई काम नहीं रहता था और ऐसा नहीं है कि वह 65 वर्ष तक सेवाएं नहीं दे सकते. इसलिए राज्य सरकार ने कॉलेजों के प्रोफेसरों के रिटायर होने की आयु बढ़ाने का निर्णय लिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल में नौकरी का अभाव नहीं है. पिछले सात वर्षों में यहां बेरोजगारी 40 प्रतिशत कम हुई है. हमारी सरकार ने सत्ता में आने के बाद यहां 23 विश्वविद्यालय स्थापित किये हैं. इसके अलावा और 11 नयी यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है. इसलिए यहां रोजगार के अवसर और भी बढ़ेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नदिया जिले में कन्याश्री विश्वविद्यालय की स्थापना करेगी और इसके लिए वह 10 जनवरी को इसकी आधारशिला रखेंगी. कलकत्ता यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी को सीयू की ओर से ‘डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’ की मानद उपाधि प्रदान की गयी.
उनके साथ-साथ दिलीप महालनविस व सुकुमार मुखर्जी को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि दी गयी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन सभी को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की. इस मौके पर सीयू की कुलपति प्रोफेसर सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने स्वागत भाषण दिया.वहीं, सीयू के कुलाधिपति व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.
राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा कि यूनिवर्सिटी राजनीतिक अखाड़ा नहीं है, जहां हम राजनीतिक लड़ाई करें. यह शिक्षा का मंदिर है. परिवार के लोग काफी उम्मीदों के साथ अपने बच्चों को यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं. इसलिए छात्रों का कर्तव्य है कि वह उनकी आशाओं को पूरा करें. इस अवसर पर राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ पार्थ चटर्जी व सीयू के रजिस्ट्रार डॉ सौमित्र सरकार सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे.
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