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बंदी के कगार पर पूर्वी भारत का सबसे पुराना संग्रहालय

कोलकाता : कागज-कपड़े, तांबे के पत्तरों व पत्थरों पर ना जाने कितने हाथों के अथक मेहनत से उकेरी गयीं सदियों पुरानी लोक कलाएं, लोक परंपराएं और बंगाल की संस्कृति के स्मृति चिह्न अब ढूंढे नहीं मिलेंगे, क्योंकि महानगर के बेहाला स्थित गुरुसदय संग्रहालय इन दुर्लभ कलाकृतियों को संभालने में असमर्थ है. पूर्वी भारत के सबसे […]

कोलकाता : कागज-कपड़े, तांबे के पत्तरों व पत्थरों पर ना जाने कितने हाथों के अथक मेहनत से उकेरी गयीं सदियों पुरानी लोक कलाएं, लोक परंपराएं और बंगाल की संस्कृति के स्मृति चिह्न अब ढूंढे नहीं मिलेंगे, क्योंकि महानगर के बेहाला स्थित गुरुसदय संग्रहालय इन दुर्लभ कलाकृतियों को संभालने में असमर्थ है.
पूर्वी भारत के सबसे पुराने संग्रहालय के रूप में प्रसिद्ध इस संग्रहालय में बंगाल विभाजन के पहले की अनेक कलाकृतियां संग्रहित हैं, पर पिछले कुछ सालों से शासन व प्रशासन की बेरुखी के कारण अब यह बंद होने के कगार पर है. गौरतलब है कि क्षेत्रीय लोक कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए बंगाल ब्रतचारी सोसायटी के द्वारा स्थापित इस संग्रालय का उद्घाटन 8 फरवरी 1963 को हुआ. दो दशकों तक इसका संचालन केंद्र सरकार के अुनदान से होता रहा. सूत्रों के अनुसार, अब केंद्र सरकार की ओर से अनुदान की राशि नहीं मिल रही है.
केंद्र ने अंतिम बार 2016-17 में 45 लाख रुपये आवंटित किये थे. इसमें करीब 13 कर्मचारी कार्यरत हैं. अनुदान नहीं मिलने से कर्मचारियों को पिछले 13 महीने से वेतन भी नहीं दिया गया है. बिजली का बिल भी बकाया है. यहां के सीसीटीवी कैमरे भी खराब पड़े हैं. संग्रहालय को संचालित करने में प्रबंधन के पसीने छूट रहे हैं.
गुरुसदय दत्त की मेहनत का परिणाम है संग्रहालय
गुरुसदय दत्त डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर थे. उनका जन्म 1882 में और मृत्यु 1941 में हुई. डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर होने के कारण उन्हें बंगाल के विभिन्न ग्रामीण व सुदूर अंचलों में कार्य करने का मौका मिला. उन्हें दुर्लभ कलाकृतियां, मूर्तियां, लोक जीवन पर आधारित चित्रकारी, नकाशी किये हुए पत्थरों आदि का संग्रह करना अच्छा लगता था.
1929 से 1941 तक उन्होंने जो कुछ संग्रहित किया था, उन्हें मरने से पहले ब्रतचारी सोसायटी को सौंप दिया, ताकि बंगाल की पुरानी संस्कृति सदैव जीवित रहे. इस तरह इस संग्रालय में बंगाल विभाजन के बहुत पहले और 11वीं व 12वीं सदी की शिल्पकलाओं को भी सहेज कर रख गया है.
सीयू के छात्र व विदेशी सैलानी पहुंचते हैं संग्रहालय
सांस्कृतिक संस्थान होने के कारण गुरुसदय संग्रहालय में कलकत्ता विश्वविद्यालय के अॉर्कियोलॉजी विभाग के शोधार्थी छात्र यहां आते हैं. भारत की कला और संस्कृति को जानने व समझने के लिए विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं. छात्रों का प्रवेश शुल्क मात्र 2 रुपये, विदेशी सैलानी का 50 रुपये और आम लोगों का 10 रुपये है.
गत वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार के मंत्रालय ने हमें पत्र लिख कर बताया था कि वे अब हमें अनुदान नहीं देंगे. इसके बाद मदद के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आवेदन किया गया. राज्य सरकार के आइएनसीएम तथा उच्च शिक्षा विभाग को भी पत्र लिख कर मदद की मांग की गयी है, ताकि पूर्वी भारत के सबसे पुराना संग्रहालय को बंद होेने से हम बचा सकें. फंड के अभाव में हम अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं. राज्य सरकार हमारी इस मांग पर विचार कर रही है.

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