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सुंदरवन रामसर साइट बनने से कुछ कदम दूर

कोलकाता : लंबे समय बाद राज्य सरकार ने आखिरकार भारत के सुंदरवन रिजर्व फॉरेस्ट के बारे में रामसर इंफॉर्मेशन शीट भरने के लिए हामी भर दी है. इसी के साथ सुंदरवन के वेटलैंड्स अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण माने जाने के एक कदम नजदीक आ गये हैं. राज्य सरकार के मुहर के बाद वन विभाग अब […]

कोलकाता : लंबे समय बाद राज्य सरकार ने आखिरकार भारत के सुंदरवन रिजर्व फॉरेस्ट के बारे में रामसर इंफॉर्मेशन शीट भरने के लिए हामी भर दी है. इसी के साथ सुंदरवन के वेटलैंड्स अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण माने जाने के एक कदम नजदीक आ गये हैं. राज्य सरकार के मुहर के बाद वन विभाग अब 8260 किलोमीटर में फैले सुंदरवन को रामसर साइट के तौर पर पहचान बनाने के लिए बाकी औपचारिकताएं पूरी करने में लग गया है.
कंवेंशन ऑन वेटलैंड्स, जिसे रामसर कंवेंशन भी कहते हैं, सरकारों के बीच समझौता है, जिससे वेटलैंड्स और उनकी संपदाओं को बचाने और बेहतर इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय ऐक्शन प्लान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का खाका तैयार किया जाता है.
अनमोल हैं सुंदरवन के जंगल
सुंदरवन में दुनिया के सबसे ज्यादा बाघ पाये जाते हैं. यहां के मैनग्रोव जंगल भारत के 40 लाख और बांग्लादेश के 35 लाख लोगों को बंगाल की खाड़ी के साइक्लोनिक डिप्रेशन से उठनेवाली लहरों के प्रभाव से बचाते हैं. इसका लगभग एक तिहाई हिस्सा सुरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आता है. प्रदूषण नियंत्रण करने में भी सुंदरवन एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. यहां पेड़ों की 84 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें से 34 केवल मैनग्रोव हैं.
वन विभाग उत्साहित
राज्य सरकार का फैसला आने के बाद राज्य के मुख्य वन अधिकारी रविकांत सिन्हा ने इसे सम्मान की बात बताया है. उन्होंने कहा कि सुंदरवन केवल रॉयल बंगाल टाइगर तक ही सीमित नहीं है. यहां पेड़ों, जानवरों, वेटलैंड्स आदि की भी बड़ी विवधता है. उन्होंने बताया कि कई साल से यहां की खास जैवविवधता को बचाने की कोशिश की जा रही थी. उन्होंने बताया कि सुंदरवन के वेटलैंड्स पर 300 पन्नों की रिपोर्ट जमा की जायेगी. रामसर से रजामंदी मिलने पर इन्हें बचाने के लिए दुनियाभर के विशेषज्ञों की मदद ली जायेगी.
रामसर साइट बने तो बहुत फायदे
पश्चिम बंगाल में फिलहाल एक रामसर साइट है- ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स. सुंदरवन को अपनी जैवविविधता के कारण 1987 से यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला हुआ है. रामसर साइट का दर्जा मिलने से सुंदरवन को ईकोटूरिज्म हॉट स्पॉट के तौर भी प्रचारित किया जा सकेगा. साथ ही, इसे बचाने के ऊपर ज्यादा ध्यान रखा जा सकेगा, क्योंकि ऐसा नहीं करने की स्थिति में अगर सुंदरवन को कोई नुकसान होता है तो उससे रामसर साइट होने का दर्जा वापस ले लिया जायेगा.

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