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कोलकाता : कोडरमा की युवती के चेहरे पर फिर लौटी मुस्कान

बिना ओपन हर्ट सर्जरी से हृदय में छिद्र को किया गया बंद कोलकाता के निजी अस्पताल में हृदय रोग का हुआ इलाज कोलकाता : झारखंड के कोरडमा जिले के मरकचो ब्लॉक के बनपोक गांव की एक मध्यवर्गीय परिवार की दो छोटे बच्चों की मां 24 वर्षीय सेल्वा मोहन (अनुरोध पर नाम परिवर्तन) के चेहरे पर […]

बिना ओपन हर्ट सर्जरी से हृदय में छिद्र को किया गया बंद
कोलकाता के निजी अस्पताल में हृदय रोग का हुआ इलाज
कोलकाता : झारखंड के कोरडमा जिले के मरकचो ब्लॉक के बनपोक गांव की एक मध्यवर्गीय परिवार की दो छोटे बच्चों की मां 24 वर्षीय सेल्वा मोहन (अनुरोध पर नाम परिवर्तन) के चेहरे पर मुस्कान फिर लौट आयी है.
हृदय के दो ऊपरी कक्षों (चैंबर) में ‍छिद्र (एट्रिएल सेप्टल डडफेक्ट (एएसडी) बीमारी से पीड़ित युवती का कोलकाता स्थित मेडिका सुपर स्पेशियलिटी में बिना ओपन हर्ट सर्जरी किये बैलून सपोर्ट की एक विशेष तकनीक के जरिये डॉक्टरों ने बंद करने में सफलता पायी और अब युवती पूरी तरह से स्वस्थ है. चार माह की बच्चे की मां सेल्वा को थकावट और हृदय की तेज धड़कन की शिकायत हो रही थी. जांच से पता चला कि सेल्वा के हृदय के दो ऊपरी कक्षों (हृदय के दाएं और बायें आर्टिएम के बीच में) में ‍छिद्र हैचिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे एट्रिएल सेप्टल डडफेक्ट (एएसडी) कहते हैं.
बाद में बीमारी की जांच व इलाज के लिए उन्हें कोलकाता लाया गया. बहुत ही दुबली-पतली है. उसका वजन मात्र 32 किलोग्राम है. ट्रांस इसोफेगल इकोकार्डियोग्राम (टीईई) समेत कई तरह की जांच से पता लगा कि उनके हृदय में बड़ा-सा छेद है तथा बिना विलंब के उस छिद्र को बंद करना जरूरी है. आमतौर पर हृदय में इतने बड़े छिद्र को ओपन हार्ट सर्टरी के जरिये बंद किया जाता है, लेकिन इसके लिए न केवल अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रहना पड़ता है, वरन सीने में लंबा चीरा भी लगाया जाता है.
मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट इंटरवेंशनल पैड्रिएट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अनिल कुमार सिंघी और सीनियर कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राना राठौर बताते हैं कि न तो मरीज और न ही उनके परिवार वाले चाहते थे कि उनका ओपेन हर्ट सर्जरी हो, क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे उसे बच्चे को स्तनपान कराने में दिक्कत होगी. साथ ही निशान पड़ने और अपंगता का भी खतरा होगा. उनका कहना है विकृत किनारों की वजह से डिवाइस के जरिये हृदय के छेद को बंद करने का पूरा काम बहुत चुनौतीपूर्ण था. हालांकि संतोषजनक बात यह है कि झारखंड सरकार और मेडिका सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के बीच समझौता होने की वजह से झारखंड सरकार ने प्रोसीजर पर होनेवाले खर्च में आर्थिक मदद की.
कार्डियक कैथेराइराजेशन लेबोरेटरी में करीब 90 मिनट तक चले प्रोसीजर के दौरान डिवाइस को बैलून सपोर्ट की एक विशेष तकनीक के जरिये सही स्थान पर लगा दिया गया. प्रोसीजर वाले दिन ही कुछ घंटों के बाद सेल्वा को वार्ड में शिफ्ट कर दिया. दूसरे दिन जांच के बाद डॉक्टरों ने इस तथ्य की पुष्टि की कि छेद पूरी तरह बंद हो गया है और फिर डॉक्टरों की सलाह पर सेल्वा को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी.
इस पद्धति में खतरा पर डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी इनवैसिव प्रोसीजर में जोखिम होता है. हम प्रोसीजर को बीटिंग हर्ट (हृदय की धड़कन के साथ) में अंजाम देते हैं, इस पद्धति में ओपन हार्ट सर्टरी की तुलना में परेशानी और जोखिम कम है. मेडिका अस्पताल समूह के चेयरमैन डॉ आलोक रॉय ने कहा कि हृदय के छेद को बंद करने (एएसडी) की यह विशेष पद्धति अनूठी है.
हम मेडिका में गंभीर विकृतियों और बीमारियों के इलाज के लिए इस तरह की कम जोखिम वाली नयी सर्जिकल तकनीक की तलाश में रहते हैं. सेल्वा के जल्द स्वस्थ हो जाने से निश्चित तौर पर मेडिका टीम का मनोबल बढ़ा है.

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