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अखिलेश से दूर रहने में ममता का भला : सिद्धार्थनाथ

कोलकाता. उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह एक दिन के निजी दौरे पर कोलकाता आये थे. इत्तेफाक से जिस शादी कार्यक्रम में वह हिस्सा लेने आये थे, उसी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शिरकत करने आये थे. खबर लिखे जाने तक दोनों नेताओं के बीच मुलाकात नहीं हुई. लेकिन […]

कोलकाता. उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह एक दिन के निजी दौरे पर कोलकाता आये थे. इत्तेफाक से जिस शादी कार्यक्रम में वह हिस्सा लेने आये थे, उसी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शिरकत करने आये थे. खबर लिखे जाने तक दोनों नेताओं के बीच मुलाकात नहीं हुई.

लेकिन पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान सिद्धार्थ नाथ सिंह को जब यह पता चला कि अखिलेश को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाय पीने अपने कालीघाट स्थित घर पर बुलाया है, तो वह ममता बनर्जी को सलाह देते हुए कहे कि जिस पूर्वांचल के मतदाताओं पर पकड़ बनाने के लिए वह अखिलेश यादव को तवज्जो दे रही हैं, उनसे सावधान रहें. क्योंकि इसके पहले अखिलेश ने राहुल गांधी का हाथ पकड़ा था. उत्तर प्रदेश में उनका नतीजा विधानसभा और लोक सभा के चुनाव के बाद अब स्थानीय निकाय चुनावों में दिखा है. दोनों ही दल बुरी तरह से हारे हैं. इनका सूपड़ा साफ हो गया है.

ऐसे में दीदी को मुफ्त सलाह देते हुए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगर वह अभी से नहीं चेतीं, तो वक्त से पहले ही सत्ता से दूर हो जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा का जनाधार व संगठन जिस तेजी से बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि साल 2021 में बंगाल की सत्ता पर भाजपा काबिज हो जायेगी.
उन्होंने कहा कि जनता ने नोटबंदी और जीएसटी का विरोध करनेवाली सपा और कांग्रेस को निकाय चुनाव में माकूल जवाब दिया है. अब बारी ममता बनर्जी की है, उन्हें भी अब तैयार रहना होगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव करवाया है, उससे ममता बनर्जी सीख लें. बिना किसी हंगामे के वहां चुनाव हुए हैं. ऐसा हम बंगाल में सोच भी नहीं सकते. उन्होंने कहा कि अगर ममता बनर्जी यह सुनिश्चित कर दें कि बंगाल के लोग शांतिपूर्ण माहौल में अपना वोट डालें, तो उसी दिन दीदी की विदाई तय हो जायेगी. पंचायत चुनाव के नतीजों का अभी से ही आंकलन करना सही नहीं होगा. फिलहाल बंगाल में लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम दिखाना भाजपा की पहली प्राथमिकता है. हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
मुकुल राय के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह उन्हें पार्टी में लेने के पक्ष में उस वक्त नहीं थे, क्योंकि तब की परिस्थिति भिन्न थी, आज स्थिति बदल गयी है. वह राजनीतिक व्यक्तित्व हैं. उनकी अपनी पहचान है, जिसका फायदा भाजपा को मिल रहा है. चूंकि वह तृणमूल कांग्रेस के सबसे बड़े कद्दावर नेताओं में एक थे और उन्हें वहां की रणनीति तय करने की जिम्मेदारी थी. लिहाजा उन्हें पता है कि कब क्या करना है. भाजपा तोड़ने में यकीन नहीं करती है. इसकी अपनी नीति और आर्दश है. फिलहाल मुकुल राय पार्टी के सिद्धांतों को जनता तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उनसे भाजपा को काफी उम्मीदें हैं.

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