इसी समय ममुन नामक एक सीनियर ने उसके दिमाग में जिहाद के नाम पर आतंकी गतिविधियों के बारे में उसे बताना शुरू कर दिया. इसके बाद से लगातार वह उसे इस बारे में भ्रमित करते रहा. पढ़ाई पूरी करने के बाद बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियां चलाने वाले एक मेजर से भी उसकी मुलाकात करायी. उस मेजर ने उसे अपना शिष्य स्वीकार किया. इसके बाद उसने अंसर बांग्ला संगठन ज्वायन किया.
लेकिन वहां की सरकार द्वारा उस संगठन पर 2015 में पाबंदी लगाने के बाद वह नये संगठन अंसार-उल-इस्लाम के लिए काम करना शुरू कर दिया. उस मेजर के कहने पर वह अपना कार्यकलाप करने लगा. अपने पोशाक व पहनावे में भी वह बदलाव लाने लगा. वहां आतंकी ट्रेनिंग लेने के बाद से उसने बांग्लादेश में संगठन के सदस्यों को कुछ महीने ट्रेनिंग भी दी थी. इसके बाद बांग्लादेश में ब्लॉगर की हत्या होने के बाद बांग्लादेश की सरकार द्वारा 2017 में अंसार-उल-इस्लाम संगठन पर भी पाबंदी लगाने के बाद वह अपने आका (संगठन प्रमुख) के निर्देश पर वह बांग्लादेश से अपने साथी रिजाउल इस्लाम के साथ सीमा पार कर बांग्लादेश से बंगाल में आ गया. पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि वह बंगाल के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में रहकर आतंकी संगठन अलकायदा के लिए वह आतंकी माड्यूल डैयार करने की कोशिश कर रहा था.