डीएचआर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तीन महीने से अधिक समय तक चले गोरखालैंड आंदोलन ने डीएचआर का एक तरह से बंटाधार कर दिया है. आंदोलन शुरू होते ही डीएचआर ने ट्वाय ट्रेन की सेवा बंद करने का निर्णय ले लिया था. बेमियादी बंद से पहले ही डीएचआर ने ट्वाय ट्रेन की सेवा स्थगित करने की घोषणा कर दी थी. इस अवधि के दौरान रेलवे को करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है. अब लगता है इसी नुकसान को डीएचआर द्वारा पाटने की कोशिश की जा रही है. यही कारण है कि ट्वाय ट्रेन का किराया एक बार में आसमान पर पहुंच गया है. हांलाकि रेलवे ने इसे जॉय राइड की संज्ञा दी है. इस ट्रेन का किराया पहले की तरह ही 455 रुपये रखा गया है. लेकिन यह ट्रेन पहले की तरह न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक नहीं चलेगी. बल्कि इस ट्रेन को सिलीगुड़ी से सुकना के बीच चलाने का निर्णय लिया गया है. यह ट्रेन मात्र 11 किलोमीटर चलेगी, लेकिन किराया पहले वाला ही रखा गया है. रविवार को दिन के दस बजे इस ट्रेन को सुकना से सिलीगुड़ी जंक्शन के लिए रवाना किया गया.
सुकना स्टेशन पर आयोजित एक विशेष समारोह के बीच डीएचआर के निदेशक एमके नार्जीनारी ने ट्वाय ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर सिलीगुड़ी के लिए रवाना किया. इस मौके पर संवादाताओं से बातचीत करते हुए श्री नार्जीनारी ने माना कि गोरखालैंड आंदोलन की वजह से डीएचआर को भारी नुकसान हुआ है. आंदोलनकारियों द्वारा डीएचआर के कई रेलवे स्टेशन फूंक दिये गये. इसके अलावा पटरियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. सिर्फ गोरखालैंड आंदोलनकारियों से ही नहीं बल्कि बारिश की वजह से बीच-बीच में हुए पहाड़ भूस्खलन की भी डीएचआर को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त रेलवे स्टेशनो तथा रेलवे की पटरियों का निर्माण कार्य चल रहा है. श्री नार्जीनारी के अनुसार फिलहाल ट्वाय ट्रेन को दार्जिलिंग तक चलाने की डीएचआर की कोई योजना नहीं है. पटरियों की मरम्मत के बाद ट्वाय ट्रेन को रंगटंग तक चलाने की कोशिश की जायेगी.