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इसीएल के बंकोला क्षेत्र में प्लास्टिक को पिघला कर बन रही इको-फ्रेंडली ईंट

यह प्रोजेक्ट उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आशा संस्थान के पदाधिकारियों को रोजगार की नयी दिशा भी दिखायेगा. पर्यावरणविद् प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग से चिंतित हैं. जिस तरह फेंके गए प्लास्टिक से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है, उसी तरह कूड़े के ढेर भी लगते हैं.

अंडाल. इसीएल के बंकोला इलाके में प्लास्टिक को पिघला कर इको-फ्रेंडली ईंट बनायी जा रही है. इस परियोजना के फलस्वरूप जहां पर्यावरण प्रदूषण कम हो रहा है, वहीं रोजगार का भी सृजन हुआ है. यह प्रोजेक्ट उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आशा संस्थान के पदाधिकारियों को रोजगार की नयी दिशा भी दिखायेगा. पर्यावरणविद् प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग से चिंतित हैं. जिस तरह फेंके गए प्लास्टिक से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है, उसी तरह कूड़े के ढेर भी लगते हैं. जिसके कारण पर्यावरण में विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं. इस समस्या का समाधान अभी भी अज्ञात है. हालांकि पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक इस मुद्दे पर लंबे समय से प्रयोग कर रहे हैं. प्रशासन ने परित्यक्त प्लास्टिक रीसाइक्लिंग परियोजनाओं पर भी जोर दिया है. ईसीएल का बंकोला क्षेत्र इस संबंध में दिशा दिखा रहा है. संगठन ने पहले ही प्लास्टिक रीसाइक्लिंग (प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई) की एक परियोजना शुरू की है. उस प्रोजेक्ट में सिंगल यूज प्लास्टिक को पिघलाकर इको-फ्रेंडली ईंटें बनाई जाती हैं. यह परियोजना एक साल पहले ईसीएल के बंकोला कोलियरी स्थित संयंत्र में शुरू की गई थी. एकल-उपयोग प्लास्टिक को उखड़ा ग्राम पंचायत की ठोस तरल सीवेज निपटान योजना से एक निश्चित मूल्य पर खरीदा जाता है. सबसे पहले, प्लास्टिक को चुना जाता है और छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. फिर प्लास्टिक के चुने हुए टुकड़ों को एक मशीन में 280 डिग्री के तापमान पर गर्म किया जाता है और पिघलने के बाद उन्हें एक विशिष्ट सांचे में रखा जाता है और ईंट बनाने के लिए लगाया जाता है. एक ईंट बनाने में एक किलोग्राम प्लास्टिक की आवश्यकता होती है. कंपनी द्वारा उत्पादित ईंटों का उपयोग अपने बगीचे को व्यवस्थित करने तथा चहारदीवारी के निर्माण में किया जा रहा है. बंकोला क्षेत्र के महाप्रबंधक संजय कुमार साहू ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में प्लास्टिक की छंटाई और कटिंग का काम किया जायेगा. अनुबंध के आधार पर चार महिला कर्मचारी हैं. चार प्रशिक्षित पुरुष श्रमिक हैं जो ईंट उत्पादन में काम करते हैं. पूरे प्रोजेक्ट की देखरेख के लिए दो प्रबंधक हैं. सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक प्रोजेक्ट पर काम होता है. श्री साहू ने कहा कि इस परियोजना में परित्यक्त प्लास्टिक को रिसाइक्लिंग के अलावा रोजगार भी पैदा हुआ है. बंकोला क्षेत्र निवेश विभाग के प्रबंधक अर्णब कुमार पहाड़ी ने कहा कि पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई की स्थापना की गई है. फिलहाल यहां हर दिन 60 किलो प्लास्टिक रिसाइकल किया जाता है और उससे ईंटें बनायी जाती हैं. भविष्य की परियोजनाओं में उत्पादन बढ़ाने की योजना है. उन्होंने कहा कि अगर इसे लागू किया जाता है तो परियोजना में अधिक रोजगार पैदा होंगे. दुर्गापुर उपमंडल प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अधिकारी ने कहा कि सरकारी और निजी स्तर पर विभिन्न तरीकों से परित्यक्त प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग करने की पहल की गई है. ईसीएल का बंकोला क्षेत्र इस मामले में आगे आया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में अगर अन्य लोग भी इसके प्रति जागरूक होंगे तो प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान में आगे बढ़ सकेंगे.

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