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सुर्खियों में आने के लिए इस्तीफा का शिगूफा छोड़ रही हैं ममता : मुकुल

कोलकाता : पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी पर बरसते हुए मुकुल राय ने कहा कि बूथ दखल और हिंसा की राजनीति करने के बावजूद पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने में विफल ममता अब भाजपा की शरण में जाने का मन बना रही हैं. लोगों की साहनुभूति पाने और सुर्खियों में […]

कोलकाता : पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी पर बरसते हुए मुकुल राय ने कहा कि बूथ दखल और हिंसा की राजनीति करने के बावजूद पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने में विफल ममता अब भाजपा की शरण में जाने का मन बना रही हैं. लोगों की साहनुभूति पाने और सुर्खियों में बने रहने के लिए वह इस्तीफा का शिगूफा बाजार में छोड़ रही हैं, ताकि उनको थोड़ा प्रचार मिल सके.

उन्होंने कहा कि वह दावे के साथ कह रहे हैं कि मौजूदा समय में ममता को सत्ता का जो नशा लग गया है, उसे वह किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकती हैं. इसलिए वह पश्चिम बंगाल की सत्ता से तभी हटेंगी, जब जनता उनको उठा कर फेंक देगी. इसके साथ ही उन्होंने ममता बनर्जी के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि ममता इस देश के मुसलमानों को किस नजर से देखती हैं, वह उनके बयान से ही पता चलता है.
वह प्रेस काॅन्फ्रेस में कहती हैं कि इफ्तार पार्टी में जायेंगी और मुस्लिम तुष्टीकरण करेंगी, क्योंकि उनको पता है कि जो जानवर दूध देता है, उसकी लात भी खाने को वह तैयार हैं. लिहाजा मुसलमानों को सोचना चाहिए कि वह उनके साथ किस रूप में जुड़े रहें.
मुकुल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी आरोप लगा रही हैं कि भाजपा ने चुनाव आयोग पर कब्जा कर लिया था. ऐसे में सवाल उठता है कि आरामबाग की सीट पर 56 ईवीएम मशीन के मतों की गणना किये वगैर कैसे भाजपा उम्मीदवार तपन राय को 1180 वोटों से हरा दिया जाता है. इसके अलावा घाटाल के कई बूथ पर जहां कुल मत 782 हैं, वहां तृणमूल कांग्रेस को 780 और एक बूथ पर 990 वोट में सभी वोट तृणमूल के खाते में कैसे जाता है.
उन्होंने कहा कि इतना सबकुछ होने के बावजूद पश्चिम बंगाल के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए खुले दिल से मतदान किये. लोकसभा चुनाव में कुल 124 विधानसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं और 30 केंद्र ऐसे हैं, जहां भाजपा के प्रत्याशी 740 वोट से दो हजार से कम वोट से हारे हैं. ऐसे में आने वाले समय में तृणमूल कांग्रेस का क्या हश्र होगा. इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को याद होगा कि एक वक्त ऐसा आया कि पश्चिम में लोग सत्ता के बदलाव के लिए विपल्वी बांग्ला कांग्रेस का दामन पकड़ा और अजय मुखर्जी को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन छह महीने में ही वह पार्टी विलुप्त हो गयी और आज उसका नाम भी लोगों को याद नहीं है.
इसी तरह की स्थिति ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की होगी यह पार्टी विलुप्त हो जायेगी, क्योंकि इसके पास न तो नेता है और न ही अपनी कोई नीति आदर्श, क्योंकि संशोधित नागरिक बिल और एनआरसी क्या है इसके बारे में ममता को कोई जानकारी नहीं है.
तृणमूल की विदेश नीति और अर्थनीति क्या है इसके बारे में भी उसको पता नहीं है. पश्चिम बंगाल की जनता यह जान गयी है और वह राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा को सत्ता में देखना चाहती है.

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