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आसनसोल, कुल्टी, रानीगंज, जामुड़िया समेत सात नगर निकायों के चुनाव पर स्पष्ट आदेश

हाइकोर्ट का फैसला: चुनाव तिथि तय करने का पूरा अधिकार है राज्य चुनाव आयोग को आसनसोल/कोलकाता. आसनसोल नगर निगम, कुल्टी, जामुड़िया व रानीगंज नगरपालिका का चुनाव आगामी दो माह के अंदर कराने का आदेश कोलकाता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को दिया. बेंच ने कहा […]

हाइकोर्ट का फैसला: चुनाव तिथि तय करने का पूरा अधिकार है राज्य चुनाव आयोग को
आसनसोल/कोलकाता. आसनसोल नगर निगम, कुल्टी, जामुड़िया व रानीगंज नगरपालिका का चुनाव आगामी दो माह के अंदर कराने का आदेश कोलकाता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को दिया.
बेंच ने कहा कि इस आदेश की प्रति मिलते ही राज्य चुनाव आयोग को चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. गौरतलब है कि इस संबंध में हुगली निवासी व अधिवक्ता प्रणब राय ने जनहित याचिका दायर की थी.
विलय प्रक्रिया का दिया था तर्क: राज्य सरकार ने कहा था कि सात शहरी निकायों-आसनसोल नगर निगम, कुल्टी नगरपालिका, रानीगंज नगरपालिका, जामुड़िया नगरपालिका, बाली नगरपालिका, विधाननगर नगर निगम व राजरहाट-गोपालपुर नगरपालिका में विभिन्न नगरपालिका का विलय कर नगर निगम बनाने की प्रक्रिया शुरू की है.
इस कारण राज्य सरकार ने इन शहरी निकायों के बोर्ड की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी चुनाव कराने से इनकार कर दिया था. इसके खिलाफ अधिवक्ता श्री राय ने कोलकाता हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने राज्य सरकार के चुनाव न कराने के निर्णय को गैरकानूनी बताया था तथा दावा किया था कि राज्य अधिनियम 243 की धारा आठ व 36 नंबर धारा के तहत का उल्लेख करते हुए चुनाव कराने का अधिकार राज्य चुनाव आयोग का बताया था.
जारी चुनाव प्रक्रिया संवैधानिक :
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने कहा कि जिन नगरपालिकाओं की अवधि समाप्त हो चुकी है, वहां निकायों के विलय के नाम पर उनका चुनाव टाला नहीं जा सकता है. समय समाप्त हो जाने के बाद भी चुनाव नहीं कराना गैरकानूनी है.
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इन शहरी निकायों के चुनाव कराने का पूरा अधिकार राज्य चुनाव आयोग को है. उन्होंने कहा कि इस आदेश की प्रति मिलते ही राज्य चुनाव आयोग को दो माह में चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देनी होगी.
खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोलकाता नगर निगम व 92 नगरपालिका के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इन चुनावों की तिथि की घोषणा राज्य सरकार ने राज्य चुनाव आयोग की राय से की थी, इस कारण इसे गैर संवैधानिक नहीं कहा जा सकता है.
चुनाव कराने में होगी जटिलता: जानकारों का कहना है कि भले ही कोर्ट ने दो माह में चुनाव कराने का आदेश दिया है, लेकिन राज्य चुनाव आयोग को दो माह में चुनाव कराने की प्रक्रिया पूरी करने में काफी तकनीकी बाधाएं आ सकती हैं. इसके लिए आवश्यक है कि हाइकोर्ट के निर्णय का पूर्ण विवेचन किया जाये. इन क्षेत्रों के विलय की अधिसूचना के कानूनी औचित्य को भी समझने की जरूरत है.
चुनाव के लिए तृणमूल तैयार: बर्दवान जिला (औद्योगिक) तृणमूल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू ने कहा कि हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार को निर्णय लेना है कि उसका अगला रुख क्या होगा? जहां तक पार्टी की बात है तो इन चुनावों के लिए पार्टी पूरी तरह से तैयार है तथा चुनाव में चारों शासी निकायों में पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ बोर्ड गठित करेगी.
क्या है इन नगर निकायों की स्थिति
आसनसोल नगर निगम तथा कुल्टी नगरपालिका बोर्ड की समयावधि जून, 2014 में ही समाप्त हो गयी थी. संसदीय चुनाव मई में होने के बाद राज्य सरकार ने इन दो शासी निकायों का चुनाव कराने से इनकार कर दिया था. इन दो शासी निकायों के संचालन के लिए प्रशासक के रूप में अतिरिक्त जिलाशासक की नियुक्ति की गयी थी. राज्य चुनाव आयोग के द्वारा इस मामले को कोर्ट में ले जाने के बाद राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि कुल्टी, रानीगंज व जामुड़िया नगरपालिका का विलय आसनसोल नगर निगम में किया जायेगा. रानीगंज व जामुड़िया नगरपालिका बोर्ड की अवधि मई, 2015 में समाप्त हो रही है. फरवरी माह में राज्य सरकार ने इन तीनों नगरपालिका क्षेत्र के विलय की अधिसूचना जारी कर दी है. इस पर तीन माह के अंदर आपत्ति मांगी गयी है. 18 मई तक आपत्ति दर्ज करनी है.
राज्य सरकार का रुख अस्पष्ट
हाइकोर्ट के इस निर्णय को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि इस मुद्दे पर राज्य सरकार का रुख सामने नहीं आया है. जानकार विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है. यदि राज्य सरकार अपील में नहीं जाती है तो चुनाव कराने की विवशता होगी. इधर इस निर्णय के आने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि इतने दिनों तक राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर विवाद खड़ा कर रखा था कि चुनाव कराने का अधिकार राज्य चुनाव आयोग का न होकर राज्य सरकार का है. लेकिन इस आदेश से स्पष्ट हो गया है कि यह अधिकार पूर्ण रूप से राज्य चुनाव आयोग का है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि स्थिति क्या इतनी बदतर हो गयी है कि हर स्तर का चुनाव कराने के लिए कोर्ट में जाना पड़ेगा.

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