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जिम्मेवारी तय की जायेगी शीघ्र

आसनसोल : जामुड़िया थाना अंतर्गत चुरुलिया के समीप स्थित धंसान प्रभावित गांव देशेर मोहन की सुरक्षा के मुद्दे पर गुरुवार को अतिरिक्त जिला शासक सुमित गुप्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों व विभिन्न कोयला कंपनियों के अधिकारियों के साथ कथा भवन में बैठक की गयी. निर्णय लिया गया कि नियमित रूप से हो रही धंसान की घटनाओ […]

आसनसोल : जामुड़िया थाना अंतर्गत चुरुलिया के समीप स्थित धंसान प्रभावित गांव देशेर मोहन की सुरक्षा के मुद्दे पर गुरुवार को अतिरिक्त जिला शासक सुमित गुप्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों व विभिन्न कोयला कंपनियों के अधिकारियों के साथ कथा भवन में बैठक की गयी.

निर्णय लिया गया कि नियमित रूप से हो रही धंसान की घटनाओ ं के लिए जो कंपनी जिम्मेवार होगी, उसे ही उक्त इलाको में स्थायीकरण के लिए कार्य करना होगा. इसके लिए शीघ्र रिपोर्ट मंगाने पर सहमति बनी.

बैठक में अतिरिक्त जिलाशासक श्री गुप्ता, महकमाशासक अमिताभ दास, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) विश्वजीत घोष, डिप्टी मजिस्ट्रेट संजय पाल, जामुड़िया थाना प्रभारी सुजीत मुखर्जी, इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड तथा बंगाल इम्टा के प्रतिनिधि उपस्थित थे. देशेर मोहन गांव धंसान प्रभावित क्षेत्र है तथा इसमें एक हजार से अधिक परिवार निवास करते हैं. इसके इलाकों में पिछले कई माह से भूमि धंसान की घटनाएं नियमित रूप से घट रही है.

इस कारण इस गांव के निवासी असुरक्षित माहौल में जीने को विवश हैं. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिख कर उन्हें सुरक्षित माहौल देने की मांग की थी. किसी भी दिन वहां धंसान की बड़ी घटना हो सकती है तथा जान-माल की भारी क्षति हो सकती है. इसी परिप्रक्ष्य में बैठक की गयी.

अधिकारियों ने कहा कि इस गांव के पास स्थित तारा कोलियरी से बहुत पहले इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (इसीएल) ने कोयला खनन किया था. कोयला खनन असुरक्षित हो जाने के बाद कंपनी ने इस खदान को बंद कर दिया. बाद में इस कोलियरी का आवंटन वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूपीडीसीएल) को कर दिया गया. इम्टा ने राज्य सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम गठित कर बंगाल इम्टा के नाम से खनन कार्य किया.

देशेर मोहन गांव के नीचे से कोयला निकालने के बाद उक्त स्थल पर ठीक से बालू भराई नहीं किये जाने के कारण वहां धंसान की घटनाएं नियमित रूप से हो रही हैं. बालू भराई नहीं होने के लिए जिम्मेवार कंपनी पर चर्चा की गयी. दोनों कोयला कंपनियों ने इसकी जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दिया.

एडीएम श्री गुप्ता ने बताया कि बैठक में इसीएल और बंगाल एम्टा से विस्तृत जानकारी मांगी गयी है. यदि इसीएल जिम्मेवार हुई तो गांव को सुरक्षित करने के लिए उसके द्वारा बालू भराई की जायेगी और यदि बंगाल इम्टा जिम्मेवार हुई तो डब्ल्यूपीडीसीएल को बालू भराई करनी होगी. इसका कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस कोलियरी से बंगाल इम्टा ने खनन कार्य बंद कर दिया है. कोलियरी का आवंटन डब्ल्यूपीडीसीएल के नाम से हैं.

एडीसीपी (सेंट्रल) श्री घोष ने बताया कि देशेर मोहन गांव में पा ंच हजार से अधिक ग्रामीण निवास करते हैं. आये दिन वहां भूधंसान की घटनाएं हो रही है. किसी भी दिन वहां बड़ी घटना हो सकती है. इसलिए जल्द से जल्द वहां बालू भराई करने की आवश्यकता है.

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