आसनसोल : 301 कन्यापुर सेटेलाइट टाउनशिप प्रोजेक्ट (केएसटीपी) के आवासीय क्षेत्र सेक्टर एच में प्लॉट संख्या सीबी/14 पर अनाधिकृत रूप से बनी बहुमंजिली इमारत को तोड़ने का नोटिस जारी करने और ऊक्त प्लॉट का लीज डीड चार जनवरी 2013 को रद्द करने के छह वर्ष बाद भी अड्डा उस प्लॉट को अपने कब्जे में नहीं ले पाई.
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केएसटीपी में अवैध निर्माण पर कार्रवाई में अड्डा ने दी काफी ढील
आसनसोल : 301 कन्यापुर सेटेलाइट टाउनशिप प्रोजेक्ट (केएसटीपी) के आवासीय क्षेत्र सेक्टर एच में प्लॉट संख्या सीबी/14 पर अनाधिकृत रूप से बनी बहुमंजिली इमारत को तोड़ने का नोटिस जारी करने और ऊक्त प्लॉट का लीज डीड चार जनवरी 2013 को रद्द करने के छह वर्ष बाद भी अड्डा उस प्लॉट को अपने कब्जे में नहीं […]
जबकि प्लॉट के पट्टेदार को अनाधिकृत निर्माण को तोड़ने का नोटिस और लीज डीड रद्द होने को लेकर भेजी गई चिट्ठी में यह कहा गया था कि एक माह में यदि निर्माण नहीं तोड़ा गया और प्लॉट सरेंडर नहीं किया गया तो बिना किसी पूर्व सूचना के निर्माण ध्वस्त कर प्लॉट पर अड्डा अपना दखल ले लेगा.
इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई और उस वक्त तक ऊक्त प्लॉट पर बनी जी+5 बहुमंजिली इमारत अब जी+6 बन गयी है. अनाधिकृत निर्माण को तोड़ने का नोटिस जारी होने और प्लॉट का लीज डीड रद्द करने के एक माह बाद अड्डा ऊक्त प्लॉट पर दखल लेने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं कि?
इस संबंध में अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. अड्डा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एस अरुण कुमार प्रसाद ने कहा कि मामले की पूरी फाइल की बारीकी से जांच के बाद ही इस मुद्दे पर कुछ बोल पाएंगे. सनद रहे कि केएसटीपी में प्लॉट संख्या सीबी/14 को मार्केट स्ट्रीट कोलकाता निवासी मोहम्मद अनवर अली को अड्डा ने आवंटित किया था.
21 जनवरी 2002 को श्री अली को प्लॉट पर कब्जा दिया गया और सात मार्च 2002 को लीज डीड लागू हुआ. लीज डीड के शर्तों के अनुसार प्लॉट पर दखल लेने के पांच वर्ष के अंदर निर्माण करना होता है. पांच वर्ष में निर्माण कार्य न होने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया. 16 दिसम्बर 2008 को नोटिस के जवाब में उन्होंने ओपन हर्ट सर्जरी का हवाला देते हुए निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए मोहलत मांगी.
पुनः उहोने 27 फरवरी 2009 को अड्डा के सीईओ को पत्र भेजकर कहा कि अभी भी वे स्वस्थ्य नहीं हैं, बिल्डिंग प्लान तैयार कर मंजूरी के आसनसोल नगर निगम में भेजने की बात कहते हुए निर्माण कार्य वर्ष 2011 के शुरू में ही आरंभ करने की संभावना जताई.
18 जुलाई 2012 को अड्डा के सर्वेयर एसके दत्ता ने जांच में पाया कि ऊक्त प्लॉट पर जी+5 बहुमंजिली इमारत बन रही है. नियमानुसार आवासीय इलाके में बहुमंजिला इमारत निर्माण की अनुमति नहीं होती है. श्री अली को इस निर्माण से संबंधित सभी कागजातों के साथ सुनवाई के लिए 22 अगस्त 2012 को अड्डा के सहायक कार्यपालक अधिकारी के पास उपस्थित होने को कहा गया.
उपस्थित न होकर श्री अली ने तीन सितम्बर 2012 को पत्र लिखकर अड्डा से ऊक्त प्लॉट पर दखल का प्रमाण पत्र और एनओसी की मांग की. अड्डा ने पुनः चार अक्टूबर 2012 को फाइनल नोटिस भेजकर तीन दिनों के अंदर उपस्थित होने को कहा, नहीं आने पर कानून के दायरे में कार्यवाई की चेतावनी दी.
श्री अली उपस्थित नहीं हुए, उनके वकील ने इसका लिखित जवाब दिया. जिससे पता चला कि उस वक्त तक निर्माण से संबंधित कोई कागजात उनके पास नहीं था. उनके वकील ने लिखा कि आसनसोल नगर निगम में बिल्डिंग प्लान जमा किया गया है, जिसकी मंजूरी लगभग हो गयी है.
अड्डा ने कानूनी सलाह ली, जिसमें लीज डीड रद्द और निर्माण ध्वस्त करने को कहा : जी+5 की निर्माण से संबंधित कोई कागजात श्री अली द्वारा अड्डा के समक्ष पेश नहीं कर पाने पर अड्डा ने कार्रवाई की प्रक्रिया आरम्भ की. अड्डा के कानूनी सलाहकार आसनसोल अदालत के अधिवक्ता तपन कुमार चट्टोपाध्याय के पास पूरे मामले को भेजकर सुझाव मांगी गई.
26 दिसम्बर 2012 को अधिवक्ता श्री चट्टोपाध्याय ने सुझाव दिया कि टाऊन एंड कंट्री प्लांनिग एक्ट 1979 के नियमानुसार प्लॉट का पट्टा रद्द करने और निर्माण को ध्वस्त करने एक प्रावधान है. इसके आधार पर चार जनवरी 2013 को अड्डा ने श्री अली को पत्र लिखकर सूचित किया कि लीज डीड के शर्तों का उलंघन करने के कारण, सात मार्च 2002 को जिस जमीन का पट्टा का लीज डीड दिया गया था, आज से उसे प्रभाव से रद्द कर दिया गया.
एक माह के अंदर ऊक्त प्लॉट को सरेंडर करने को कहा. एक माह में सरेंडर न करने पर बिना किसी पूर्व सूचना के अड्डा जमीन पर अपना दखल ले लेगी. इसी दिन निर्माण को ध्वस्त करने का नोटिस श्री अली को भेजा गया. जिसमें कहा गया कि निर्माण को एक माह के अंदर ध्वस्त करना होगा, यदि ऐसा नहीं होता है तो बिना किसी पूर्व सूचना के अड्डा निर्माण को ध्वस्त कर देगा.
निर्माण ध्वस्त करने और पट्टा रद्द करने को लेकर पुनः कानूनी सलाह.
नोटिस की समयसीमा समाप्त होने पूर्व अड्डा ने पुनः इसपर कनूनी सलाह के लिए फाइल अधिवक्ता श्री चट्टोपाध्याय के पास 29 जनवरी 2013 को भेजी. छह फरवरी 2013 को उन्होंने जवाब दिया कि टाऊन एंड कंट्री प्लनिंग एक्ट 1979 के तहत ऊक्त प्लॉट को दखल में लेने के लिए अड्डा हकदार है. एक्ट की धारा 67(2) के तहत इस कार्य में पुलिस की सहयोग ले सकती है. यहां तक अड्डा के कार्य की गति काफी तेज रही, उसके उपरांत कार्रवाई की प्रक्रिया लगभग थम गई.
श्री अली ने अपील की : उक्त कार्रवाई के बाद श्री अली ने चार मार्च 2013 को अड्डा के पास एक शपथपत्र जमा किया. जिसमें प्रथम क्लास मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्होंने कहा कि उक्त निर्माण पूर्ण रूप से आवासीय है. इसका उपयोग वाणिज्यिक या आवासीय सह वाणिज्यिक के रूप में नहीं होगा. उनके पांच बेटे, 25 नाती-नातिन, एक बहन है. सभी एक छत के नीचे रह सके इसके लिए यह मकान बनाया गया है.
अवैध निर्माण को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय में मामला दायर : श्री अली के इमारत के पीछे कौशिक लाहिड़ी का दो मंजिला मकान है. वे अपने 70 वर्षीय मां के साथ यहां रहते है. इस बहुमंजिली इमारत के बनने से उनका मकान ढक गया है.
श्री लाहिड़ी ने बताया कि सात मंजिली इमारत के बनने से उनके घर में हवा, धूप नहीं आती है. इस मामले को लेकर मुख्य मंत्री, शहरी विकास मंत्री जिले के सभी वरीय अधिकारियों को चिट्ठी दी गयी है. कहीं से कोई कार्रवाई नहीं होने पर 13 अगस्त 2019 को कोलकाता उच्च न्यायालय में अड्डा के खिलाफ मामला दायर किया गया.
श्री अली से संपर्क नहीं हो पाया.
इस मामले में श्री अली का बयान लेने का प्रयास किया गया, तो पता चला कि वे ऑस्ट्रेलिया में रहते है. उनके इस कार्य की देखरेख इलाके के एक दबंग व्यक्ति करते हैं. उनसे संपर्क करने पर उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. श्री अली के ऑस्ट्रेलिया के फोन नम्बर 61410143588 पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया. संपर्क नहीं हो पाया.
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