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दुर्गापुर : शहर के प्रमुख अंग्रेजी माध्यम के स्कूल दिल्ली पब्लिक स्कूल परिसर में युग द्रष्टा एवं सामाजिक चेतना के प्रतीक महान लेखक व कथाकार मुंशी प्रेमचन्द्र की 138वीं जयंती को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये. कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य उमेशचंद जायसवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम के प्रथम में स्कूल […]

दुर्गापुर : शहर के प्रमुख अंग्रेजी माध्यम के स्कूल दिल्ली पब्लिक स्कूल परिसर में युग द्रष्टा एवं सामाजिक चेतना के प्रतीक महान लेखक व कथाकार मुंशी प्रेमचन्द्र की 138वीं जयंती को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये. कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य उमेशचंद जायसवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
कार्यक्रम के प्रथम में स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने प्रेमचन्द के तैल चित्र पर माल्यदान किया. प्रधानाचार्य उमेशचंद जायसवाल ने कहा कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है. प्रेमचंद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे स्वतंत्रता से पूर्व के समय में थे. हिंदी कथा-साहित्य को तिलस्मी कहानियों के झुरमुट से निकालकर जीवन के यथार्थ की ओर मोड़कर ले जाने वाले कथाकार मुंशी प्रेमचंद सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर के मशहूर और सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले रचनाकारों में से एक हैं.
इस दौरान स्कूली बच्चों ने उनकी लोकप्रिय रचना ‘बूढ़ी काकी’ का मंचन किया. मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा स्वरचित रचनाओं का संकलन ‘किलकारियां’ बाल पत्रिका का विमोचन किया गया. दूसरी ओर, मुंशी प्रेमचन्द सांस्कृतिक मंच एवं जनवादी लेखक मंच के साझा प्रयास से मंगलवार की सुबह ट्रंक रोड स्थित प्रेमचन्द की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये. मौके पर संस्था के सचिव तारकेश्वर पांडे, महेश प्रसाद लिम्का सहित कई गणमान्य उपस्थित थे.
टीडीबी में प्रेमचंद जयंती
रानीगंज. रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज में हिंदी विभाग की ओर से मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनायी गयी. कॉलेज प्राचार्य डॉ आशीष दे के अलावा हिंदी तथा ऊर्दू विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाओं उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा अर्पित की. हिंदी साहित्य की महान विभूति मुंशी प्रेमचंद के साहित्य एवं दृष्टिकोण का विस्तृत वर्णन करते हुये प्राचार्य डॉ आशीष दे ने विश्व स्तर पर इनकी रचनाओं की उपयोगिता की चर्चा की.
मौके पर हिंदी विभाग की डॉ मंजुला शर्मा, डॉ महेंद्र प्रसाद कुशवाहा, डॉ डीपी बर्नवाल, जयराम पासवान, प्रोफेसर वसीम आलम, प्रोफेसर मीना कुमारी, उर्दू विभाग के अध्यापक मोहम्मद कमाल, डॉ साबरा खातून, डॉ महजबीन और प्रोफेसर शमशेर आलम ने हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की उपयोगिता पर विचार प्रस्तुत किये.

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